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भारतीय सिनेमा में हॉरर फिल्मों की एक अलग ही दुनिया रही है, और इस दुनिया के असली बादशाह थे रामसे ब्रदर्स। 80 और 90 के दशक में उन्होंने कई ऐसी हॉरर फिल्में बनाई, जो कम बजट के बावजूद सुपरहिट साबित हुईं। इन्हीं में से एक फिल्म थी 1984 में रिलीज़ हुई ‘पुराना मंदिर’।
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यह फिल्म इस लिस्ट में सबसे ऊपर आती है। यह फिल्म न सिर्फ B-ग्रेड हॉरर फिल्मों की सबसे सफल फिल्मों में से एक रही, बल्कि इसने अपनी लागत से 100 गुना ज्यादा कमाई कर सबको हैरान कर दिया! तो आइए जानते हैं ‘पुराना मंदिर’ के बारे में विस्तार से—
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कम बजट में बनी बड़ी ब्लॉकबस्टर
‘पुराना मंदिर’ का निर्माण तुलसी रामसे और श्याम रामसे के निर्देशन में हुआ था। इस फिल्म का बजट मात्र ₹2.5 लाख था, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर इसने शानदार ₹2.5 करोड़ की कमाई की। -
यह आंकड़ा खास इसलिए भी था क्योंकि यह फिल्म B-ग्रेड कैटेगरी की थी और मुख्य रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में ही चली थी।
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उस समय भारतीय सिनेमा में हॉरर फिल्में ज्यादा सफल नहीं होती थीं, लेकिन रामसे ब्रदर्स की फिल्में थिएटर मालिकों और दर्शकों के लिए सोने की खान साबित हुईं।
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फिल्म की कहानी – भूतिया हवेली और शैतानी श्राप
फिल्म की कहानी एक पुरानी हवेली के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें एक भयानक शैतान (सामरी) सौ साल से बंद है। जब कुछ युवा इस हवेली में जाते हैं, तो गलती से वह शैतान मुक्त हो जाता है और उसके बाद शुरू होती है खौफ और मौत की एक डरावनी दास्तान। -
मुख्य पात्र:
साधना सिंह (आरती गुप्ता) – जिनका परिवार इस शैतान के श्राप से पीड़ित होता है।
सुरेश (मोहनिश बहल) – जो अपनी प्रेमिका साधना को इस श्राप से बचाने की कोशिश करता है।
शैतान सामरी (अनिरुद्ध अग्रवाल) – फिल्म का मुख्य विलेन, जो सालों बाद आजाद होता है और आतंक मचाने लगता है।
शेरा (पुनीत इस्सर) – जो फिल्म में नायक के रूप में सुरेश की मदद करता है। -
फिल्म के कई सीन आज भी दर्शकों को डराने के लिए काफी हैं। हवेली की लोकेशन, अंधेरे गलियारों में घूमते पात्र, और बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म को और भी भयानक और दिलचस्प बनाते हैं।
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फिल्म की सफलता और प्रभाव
‘पुराना मंदिर’ एक मील का पत्थर साबित हुई। इसकी सफलता ने यह दिखाया कि कम बजट में भी सुपरहिट हॉरर फिल्में बनाई जा सकती हैं। यह 1980 के दशक की सबसे ज्यादा कमाने वाली हॉरर फिल्म थी। आज भी यह कल्ट क्लासिक मानी जाती है। -
फिल्म की लोकप्रियता का कारण
‘पुराना मंदिर’ की सफलता का मुख्य कारण इसकी दिलचस्प कहानी, डरावने दृश्य और अनिरुद्ध अग्रवाल द्वारा निभाया गया राक्षस का खौफनाक किरदार था। उस समय की तकनीक और सीमित संसाधनों के बावजूद, रामसे ब्रदर्स ने इस फिल्म को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया, जिसने इसे कल्ट क्लासिक बना दिया। -
पुनीत इस्सर और रामसे ब्रदर्स का कनेक्शन
फिल्म में पुनीत इस्सर सेकेंड लीड में थे। दिलचस्प बात यह है कि इसके कुछ साल बाद उन्होंने बी.आर. चोपड़ा की ‘महाभारत’ में दुर्योधन की भूमिका निभाई, जिससे वे घर-घर में पहचाने जाने लगे। -
रामसे ब्रदर्स की फिल्मों में अनिरुद्ध अग्रवाल का नाम भी काफी मशहूर था। वे ‘पुराना मंदिर’ में शैतान सामरी बने थे और बाद में ‘सामरी’, ‘वीराना’ और ‘बंद दरवाजा’ जैसी कई हॉरर फिल्मों में भी नजर आए।
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रामसे ब्रदर्स की अन्य मशहूर हॉरर फिल्में
रामसे ब्रदर्स ने ‘पुराना मंदिर’ की सफलता के बाद कई और डरावनी फिल्में बनाईं, जिनमें शामिल हैं दरवाजा (1978), वीराना (1988), पुरानी हवेली (1989), बंद दरवाजा (1990), सामरी (1985), आदि। इन फिल्मों की खास बात यह थी कि इन्हें कम बजट में बनाया जाता था, लेकिन फिर भी ये दर्शकों को डराने में सफल रहती थीं। -
B-ग्रेड हॉरर फिल्मों की दुनिया
रामसे ब्रदर्स की फिल्में भले ही B-ग्रेड कैटेगरी में आती थीं, लेकिन उनकी लोकप्रियता किसी A-ग्रेड फिल्म से कम नहीं थी। इन फिल्मों में डर, भूत-प्रेत, रहस्य, तंत्र-मंत्र और बोल्ड सीन मुख्य आकर्षण होते थे। ये ज्यादातर सस्ते सिनेमाघरों और छोटे शहरों में रिलीज होती थीं, जहां इनका बहुत बड़ा दर्शक वर्ग था। भले ही इनमें विशेष इफेक्ट्स और बजट कम होते थे, लेकिन डरावने बैकग्राउंड स्कोर और लोकेशन इन्हें खास बनाते थे।
