
भोजपुरी सिनेमा और गायिकी के सिरमौर बने चुके खेसारी लाल यादव कभी 10 रुपए चोरी के लिए घर से निकाल दिए गए थे। गरीबी से निजात पाने के लिए खेसारी लाल गांव और आस-पास के इलाके में महाभारत और रामायण गाने लगे थे। तब व्यास की परंपरा ज्यादे थी जो धर्मग्रंथों में लिखे शब्दों को गाकर सुनाते थे। खेसारी भी इस परंपरा में चले आए। वे लोगों के घरों में रात भर अखंड कीर्तन किया करते और ये सब वे बिना पैसे के किया करते। खेसारी लाल ये सब तो करते ही थे लेकिन गमी (किसी बुजुर्ग के मरने पर ) में भी गाने जाते थे जिसे वे कजिया (गमी) कहते हैं। धीरे-धीरे खेसारी छोटे-मोटे कार्यक्रम करने लगे जिसके लिए उन्हें 3-4 हजार रुपए तक मिलने लगे थे। हालांकि गरीबी अभी भी थी। गुरबत में बचपन गुजारने के बाद खेसारी लाल दिल्ली चले आए जहां उनके पिता मंगरू यादव भी चने और खीरा बेचा करते थे। खेसारी के पिता के सिर पर 7 बच्चों की जिम्मेदारी थी। वैसे तो खेसारी 3 भाई हैं लेकिन उनके चाचा के चार बेटों की जिम्मेदारी भी खेसारी के पिता पर ही थी क्योंकि उनके छोटे भाई की पत्नी का स्वर्गवास हो गया था। कम उम्र में ही शादी हो जाने के कारण खेसारी लाल पत्नी के साथ गाने के शौक को भी लेकर दिल्ली आ गए थे। -
खेसारी लाल की BSF में नौकरी लगी लेकिन गाने को ही अपनी प्राथमिकता मानते थे लिहाजा नौकरी ही छोड़ दी।
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खेसारी लाल यादव की जल्दी शादी हो गई थी। परिवार का खर्च उठाने के लिए पत्नी के साथ मिलकर खेसारी लाल ने दिल्ली में ठेले पर लिट्टी-चोखा बेचने का काम भी किया।
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खेसारी लाल के चाचा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि सभी भाईयों की शादी और बाकी के खर्च खेसारी ही उठाते हैं।
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खेसारी लाल ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे करीब 300 बच्चों को गोद भी ले रखे हैं जिनके पढ़ाई का खर्च वह उठाते हैं। गोद लिए बच्चों में हर धर्म और जाति के शामिल हैं।
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खेसारी लाल के चाचा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि सभी भाईयों की शादी और बाकी के खर्च खेसारी ही उठाते हैं।
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खेसारी लाल यादव की पत्नी का नाम चंदा यादव है। खेसारी लाल के दो बेटे और एक बेटी है। बेटों का नाम-युगराज यादव और ऋषब यादव और बेटी का नाम कीर्ति यादव है।
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खेसारी लाल को साल 2017 में दादा साहेब फाल्के अकादमी अवॉर्ड से नवाजा गया। इसके आलावा उन्हें उत्तर प्रदेश द्वारा दिए जाने वाले यूपी रतन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।