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मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, हड्डियों में दर्द और हड्डियों का कमजोर होना विटामिन-डी की कमी के लक्षण हैं।
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यह मौसम मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के लिए प्रतिकूल है। इस मौसम में वातावरण में नमी की वजह से कीटाणु गतिशील हो जाते हैं, जिसकी वजह से डेंगू, मलेरिया, जुकाम, फ्लू, बुखार, त्वचा संक्रमण, फंगस संक्रमण, खाद्य संक्रमण और पानी से होने वाले संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
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इस मौसम में हैजा और लेप्टोसिरोसिसआदि गंभीर बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है। लेप्टोसिरोसिस, एक जीवाणु के द्वारा पनपता है जो इंसान या जानवर किसी के भी द्वारा गर्भवती महिला के गर्भ तक पहुंच सकता है।
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लेप्टोसिरोसिस संक्रमण गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए जानलेवा भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त पेट संक्रमण, डिहाइड्रेशन आदि भी जल जनित रोगों में से एक है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को इस मौसम में विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।
