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हिंदी सिनेमा की दुनिया में अपने शानदार कॉमिक टाइमिंग और अनोखे अंदाज से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले अभिनेता गोवर्धन असरानी अब हमारे बीच नहीं रहे। 84 साल के असरानी का 20 अक्टूबर को मुंबई में निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे असरानी फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे थे। (Photo Source: @asraniofficial/Instagram)
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उन्होंने दीवाली के दिन दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन उनके जीवन का सफर जितना रंगीन था, उतना ही संघर्षों से भरा भी। क्या आप जानते हैं कि असरानी के करियर को नई दिशा देने में इंदिरा गांधी का बड़ा हाथ था? (PTI Photo)
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बचपन से था फिल्मों का जुनून
1 जनवरी 1941 को जयपुर में जन्मे असरानी को बचपन से ही फिल्मों का शौक था। वह चोरी-छिपे सिनेमा हॉल जाकर फिल्में देखते थे। एक्टिंग के इसी जुनून ने उन्हें घर-परिवार की इच्छाओं के खिलाफ जाकर मुंबई पहुंचा दिया। वहां उन्होंने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (FTII), पुणे में दाखिला लिया। असरानी FTII के पहले बैच के छात्र रहे। (Photo Source: @asraniofficial/Instagram) -
सर्टिफिकेट लेकर घूमते थे, पर काम नहीं मिला
ट्रेनिंग पूरी करने के बाद असरानी मुंबई लौटे और हीरो बनने का सपना लेकर फिल्ममेकर्स के ऑफिसों के चक्कर लगाने लगे। लेकिन हालात इतने बुरे थे कि लोग उन्हें दुत्कार देते थे। (Express Archive Photo) -
खुद असरानी ने ‘बॉलीवुड ठिकाना’ को दिए एक इंटरव्यू में बताया था— “मैं अपने सर्टिफिकेट के साथ घूमता था और लोग मुझे भगा देते थे। कहते थे, ‘एक्टिंग के लिए सर्टिफिकेट चाहिए? बड़े सितारे बिना ट्रेनिंग के काम कर रहे हैं, तुम कौन हो? भागो यहां से!’” (Photo Source: @asraniofficial/Instagram)
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दो साल तक लगातार दर-दर की ठोकरें खाने के बाद असरानी थक गए। वह जयपुर लौटे, जहां परिवार वालों ने उन्हें पारिवारिक कालीन के व्यवसाय से जुड़ने की सलाह दी। लेकिन दिल तो कुछ और ही चाहता था। असरानी ने फिर से FTII में दाखिला लिया और वहीं छात्रों को पढ़ाने लगे। (Photo Source: @asraniofficial/Instagram)
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इंदिरा गांधी बनीं किस्मत बदलने वाली
एक दिन असरानी की जिंदगी में बड़ा मोड़ आया। उस वक्त इंदिरा गांधी सूचना और प्रसारण मंत्री थीं। जब वह पुणे के दौरे पर आईं, तब असरानी और उनके साथियों ने उनसे शिकायत की कि ट्रेनिंग के बावजूद उन्हें कोई काम नहीं देता। (Photo Source: @asraniofficial/Instagram) -
असरानी ने बताया था— “हमने इंदिरा गांधी जी से कहा कि सर्टिफिकेट होने के बावजूद कोई हमें काम नहीं देता। इसके बाद उन्होंने मुंबई आकर प्रोड्यूसर्स से कहा कि FTII के कलाकारों को काम देना चाहिए।” (Photo Source: @asraniofficial/Instagram)
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इंदिरा गांधी की सिफारिश के बाद असरानी की किस्मत पलट गई। उन्हें जया भादुड़ी के साथ फिल्म ‘गुड्डी’ में कास्ट किया गया। यह फिल्म हिट रही और असरानी का करियर उड़ान भरने लगा। (Still From Film)
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‘गुड्डी’ से ‘शोले’ तक का सफर
‘गुड्डी’ की सफलता के बाद असरानी को एक के बाद एक फिल्में मिलने लगीं। 1970 से 1979 के बीच उन्होंने करीब 101 फिल्मों में काम किया। अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार्स के साथ उनकी जोड़ी खूब जमी। राजेश खन्ना तो हर फिल्म में असरानी को लेने की सिफारिश करने लगे। (Photo Source: @asraniofficial/Instagram) -
1975 में आई फिल्म ‘शोले’ ने असरानी को हमेशा के लिए अमर कर दिया। ‘अंग्रेजों के जमाने के जेलर’ का उनका किरदार आज भी लोगों के चेहरे पर मुस्कान ले आता है। “हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं!”, “आधा तीतर, आधा बटेर” जैसे उनके डायलॉग आज भी क्लासिक माने जाते हैं। (Photo Source: @asraniofficial/Instagram)
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350 से ज्यादा फिल्मों में छोड़ी छाप
पांच दशकों से अधिक लंबे करियर में असरानी ने 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। ‘चुपके चुपके’, ‘नमक हराम’, ‘रोटी’, ‘आज की ताज़ा खबर’, ‘आज का एम.एल.ए. राम अवतार’ जैसी फिल्मों में उनके किरदारों ने दर्शकों का दिल जीता। (PTI Photo) -
असरानी 84 साल की उम्र में भी एक्टिव थे। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अक्षय कुमार के साथ शूटिंग की थी। उनकी दो आखिरी फिल्में, प्रियदर्शन की ‘भूत बंगला’ और ‘हैवान’, रिलीज के लिए तैयार हैं।(PTI Photo)
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गोवर्धन असरानी का निधन केवल एक अभिनेता का जाना नहीं है, बल्कि उस दौर का अंत है जिसने हमें सादगी, कॉमेडी और इंसानियत से भरे किरदार दिए। उनकी हंसी अब भले थम गई हो, लेकिन उनके निभाए किरदार और संवाद हमेशा दर्शकों के दिलों में जिंदा रहेंगे। (Express Archive Photo)
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