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बॉलीवुड में कुछ गाने ऐसे होते हैं जिनका कोई न कोई खास ट्यून या ध्वनि होती है, जो उन्हें यादगार बना देती है। बॉलीवुड में कई गाने ऐसे हैं, जिनकी धुनें सुनकर हम तुरंत उन्हें पहचान सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से कई गाने खास बनते हैं उस एक आवाज की वजह से, जो बहुत ही मामूली सी लगती है। (Photo Source: @rupalisurve_whistlewoman/instagram)
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दरअसल, हम बात कर रहे हैं व्हिस्टल यानी सीटी की। बॉलीवुड के कई गानों में आपने सीटी बजते सुनी होगी। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ये धुन किसी इंसान ने बजाई है, मशीन ने नहीं? आज हम बात करेंगे उस व्यक्ति की, जिनकी व्हिस्टलिंग ने बॉलीवुड के गानों को और भी आकर्षक बना दिया। (Still From Film)
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ये सीटी आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है, और इसका श्रेय जाता है बॉलीवुड के मशहूर व्हिसलर, नागेश सुर्वे को। नागेश सुर्वे ने 1975 से बॉलीवुड में 1600 से भी अधिक गानों में अपनी सीटी बजाई है, और उनकी सीटी ने गानों को वो खास स्पर्श दिया है, जो मशीनों से नहीं आ सकता। (Photo Source: @rupalisurve_whistlewoman/instagram)
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चाहे वह ‘दिल तो पागल है’ का ‘अरे रे अरे ये क्या हुआ’ हो, ‘फना’ का ‘चांद सिफारिश’ हो, या ‘मुन्नाभाई’ सीरीज के गाने हों, हर जगह उनकी सीटी ने संगीत को एक अनोखा मोड़ दिया। (Still From Film)
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एक मजेदार शरारत से शुरू हुआ सफर
नागेश का करियर एक मजेदार शरारत से शुरू हुआ। मुंबई में बचपन में वे अपने मोहल्ले के लड़कों के व्हिस्टल सिग्नल्स को कॉपी किया करते थे। एक दिन उन्होंने पूरे मोहल्ले के सिग्नल्स को व्हिस्ल किया और सभी को कन्फ्यूज कर दिया। पर डांटने के बजाय लोगों ने उनकी कला को सराहा। (Photo Source: @vandanavishwas/instagram) -
यह मजाकिया एक्ट उनकी लाइफ का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। एक पिकनिक के दौरान जब वे मस्ती में सीटी बजा रहे थे, एक म्यूजिक डायरेक्टर ने उनसे पूछा — “क्या तुम गाने में सीटी बजा सकते हो?” और वहीं से मिला उन्हें पहला ब्रेक — फिल्म ‘जूली’ का गाना ‘दिल क्या करे’। (Photo Source: @rupalisurve_whistlewoman/instagram)
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सीटी से बनाई पहचान, आज भी वही जादू
नागेश सुर्वे की सीटी की कला अब तक कई फिल्मों में गूंज चुकी है। उनकी सीटी ने न सिर्फ गानों को खूबसूरत बनाया, बल्कि हर गाने में एक नई जिंदगी भी दी। चाहे वह फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ हो, ‘सौदागर’, ‘बर्फी’ हो, या ‘कृष’ जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स, हर गाने में उनकी सीटी की खासियत सुनाई दी है। (Still From Film) -
आज के दौर में जब टेक्नोलॉजी ने संगीत बनाने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है, तब भी न तो सीटी की ध्वनि और न ही उसकी सौम्यता को किसी मशीन द्वारा दोहराया जा सकता है। यही कारण है कि नागेश सुर्वे आज भी फिल्मों में अपनी सीटी से गानों में एक अलग ही स्वाद जोड़ते हैं। (Photo Source: @rupalisurve_whistlewoman/instagram)
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एक कलाकार की असली पहचान और कदर
हमारे समाज में अक्सर सीटी बजाने वालों को हल्के में लिया जाता है, और उन्हें छिछोरा माना जाता है, लेकिन नागेश सुर्वे ने अपनी कला से यह साबित कर दिया कि सीटी भी एक कला है। उन्होंने अपनी मेहनत और कड़ी लगन से इस कला को एक नई पहचान दी है, और इसके जरिए फिल्म इंडस्ट्री को एक अनमोल धरोहर दी है। आज भी जब लोग पुराने बॉलीवुड गानों को सुनते हैं, तो उनका ध्यान सबसे पहले उस जादुई सीटी की ध्वनि की ओर जाता है, जो गाने में एक अलग ही रंग भर देती है। (Photo Source: @rupalisurve_whistlewoman/instagram)
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