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ईरानी के शानदार अभिनय पर दर्शकों की नजर मुन्नाभाई एमबीबीएस के जरिए पड़ी। इस फिल्म में डाक्टर जे. अस्थाना का रोल उन्हें रातोंरात बड़ा अभिनेता बना गया। इस भूमिका के लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट कॉमेडियन का अवार्ड भी मिला। इसके बाद ईरानी को मैं हूं ना, लगे रहो मुन्नाभाई, दोस्ताना, खोसला का घोंसला, वक्त, नो एंट्री, थ्री इडियट्स में भी खूब पसंद किया गया। ईरानी वीर-जारा, मैंने गांधी को नहीं मारा, लक्ष्य, हनीमून ट्रैवल्स प्रा. लि. सॉरी भाई, पेज-3 और माई वाइफ्ज मर्डर में भी दर्शकों की सराहना पाने में सफल रहे। हालिया प्रदर्शित फरारी की सवारी में वह पहली बार दादाजी के रोल में नजर आए। इस फिल्म में भी उनके काम को खूब सराहा जा रहा है।
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बॉलीवुड फिल्मों में अपने डायलॉग के जरिए लोगों को हसाने वाले अभिनेता बुधवार को अपना 56 वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। बोमन का 2 दिसंबर 1959 को मुंबई में हुआ था। अभिनय की बुलंदिया छू रहे बोमन को असली सफलता विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस से ही मिली थी। हालांकि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बोमन ने काफी संघर्ष किया है।
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बॉलीवुड में अपने अभिनय के धनी बोमन का सपना हीरो बनना नहीं था, क्योंकि शुरुआत में एक संघर्षरत फोटोग्राफर थे। हालांकि बात में बतौर फोटोग्राफर उनकी किस्मत तब चमकी थी जब उन्हें बॉक्सिंग वर्ल्ड कप के दौरान एक पत्रिका के लिए फोटो खींचने का मौका मिला। बोमन ने कुछ समय तक चिप्स बेचने का काम भी किया फिर वह थियेटर से जुड़े जहां कुछ नाटकों में काम करने के बाद उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका मिल गया। इसी तरह वे बोमन फोटोग्राफी से ज्यादा रूझान एक्टिंग में लेने लगे।
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मुंबई के एक पारसी परिवार में जन्मे बोमन ने सेंट मैरी स्कूल एजुकेशन और इसके बाद मीठीबाई कालेज से स्नातक की उपाधि हासिल की। बोमन ने कभी नहीं सोचा था कि इन फ्यूचर वे अभिनय के पेशे में कदम रखेंगे।
बोमन ने कॉमेडी, सीरियस, विलेन, हीरो हर तरह के किरदार निभाए हैं, जिसकी वजह से आज दुनियाभर में उनके करोड़ों फैन्स हैं।
