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आप इसे अद्भुत रचना, एक फंतासी कह सकते हैं या एक बालकथा भी कह सकते हैं। लेकिन माहिष्मती के साम्राज्य को आप खारिज नहीं कर सकते हैं। क्योंकि इसकी वजह से लंबे समय से बड़े हिट के लिए तरस रहा बॉक्स ऑफिस सप्ताहांत में ‘बाहुबली’ हो गया। निर्देशक एसएस राजमौली ने भारतीय सिनेमा को अभी तक की सबसे महंगी फिल्म दे दी है। यह फिल्म 200 करोड़ में बनकर तैयार हुई है और दुनिया भर में 4000 स्क्रीनों पर प्रदर्शित की गई है।
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निर्देशक ने फिल्म को पूरा पैसा वसूल बनाते हुए पांच भाषाओं तमिल, तेलुगु, हिंदी, मलयालम और फ्रेंच में पर्दे पर उतारा है। राजमौली इसके पहले भी ‘मगाधीरा’ और ईगा (मक्खी) से दर्शकों के दिलों में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं और ‘बाहुबली’ के साथ उन्होंने नए कीर्तिमान भी रच डाले हैं।
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पहले दिन ही आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में फिल्म हाउसफुल रही। दोनों राज्यों में दर्शकों की भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस की मदद लेनी पड़ी। ऑनलाइन बुकिंग की मांग बढ़ने से कई जगह कंप्यूटर के सर्वरों ने काम करना बंद कर दिया। पहले ही दिन 50 करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर यह ‘ओपिनिंग डे’ में सबसे ज्यादा कारोबार करने वाली फिल्म बन गई है। हिंदी संस्करण में फिल्म ने पहले दिन 5.15 करोड़ की कमाई की है। खबर मिली है कि दक्षिण भारत के कुछ सिनेमाघरों में लोग इसका पहला शो देखने के लिए 10,000 हजार रुपए तक देने को तैयार थे।
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राजमौली ने बॉक्स ऑफिस को अपनी रहस्यमय दुनिया का अभी पहला ही भाग दिखाया है। यह फिल्म उन्होंने दो भागों में बनाई है, और अब दर्शकों को बेसब्री से इसके दूसरे भाग का इंतजार है। यह कहानी है काल्पनिक नगर माहिष्मती के सिंहासन की जिसे वहां की महारानी अपने दो बेटों बाहुबली और भलाल में से किसी एक को देना चाहती है। अमरेंद्र बाहुबली (प्रभास) के करीबी लोग उन्हें देवता तुल्य समझते हैं। लेकिन अमरेंद्र का बेटा शिवुडु (प्रभास) जनता के बीच अपनी अलग पहचान बनाने लगता है। लंबे अरसे के बाद जब शिवुडु अपने राज्य लौटता है तो वहां पहले जैसा कुछ भी नहीं है। भलाल (राणा डुग्गुबुत्ती) के लोगों के साथ शिवुडु को युद्ध करना पड़ता है। इसी बीच अवंतिका (तमन्ना भाटिया) और देवसेना (अनुष्का शेट्टी) के भी मजबूत किरदार सामने आते हैं।
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वैसे यह एक था राजा, एक थी रानी जैसी आसान सी कहानी ही दिखती है। लेकिन साधारण सी कहानी को असाधारण बनाता है राजमौली का निर्देशकीय कौशल, करिश्माई तकनीक और भव्य अंदाज। निर्देशक तकनीक के साथ मंजे हुए खिलाड़ी की तरह खेलते हैं और दर्शक पर्दे पर इस खेल का भरपूर मजा लेता है। आम से कहे जाने वाले दृश्यों को क्रोमा तकनीक से खास बनाया गया है। फिल्म एक जादुई पैकेज की तरह परत दर परत उघरती है और दर्शक हर दृश्य के साथ खो जाता है।
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संगीत और बैकग्रांउड स्कोर भी उम्दा है। किरदारों के मेकअप और परिधानों से लेकर पृष्ठभूमि और शानदार विजुअल इफेक्ट्स इस फिल्म को ‘कृष’, रोबोट, ‘कोई मिल गया’ जैसी फिल्मों से बहुत आगे ले जाती है। आप सिर्फ इसलिए इस फिल्म को देखने के लिए मजबूर नहीं होंगे क्योंकि इसे आपके बच्चों को देखना है और ‘बालबोध’ के साथ खुश होना है। आप अपने वयस्क मिजाज के साथ भी इस फिल्म का मजा ले सकते हैं।
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फिल्म अपने लाजवाब स्पेशल इफेक्ट्स से दर्शकों को बांधे रखती है। युद्ध के हैरतअंगेज दृश्य एक रोमांच पैदा करते हैं। हॉलीवुड की ट्रॉय, ग्लैडिएटर, लॉर्ड ऑफ द रिंग्स, अवतार, 300 जैसी फिल्में वैश्विक मंच पर अपनी भव्यता के लिए जानी जाती हैं।
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‘बाहुबली’ भारतीय सिनेमा को उस ऊंचाई पर ले जाने में कामयाब दिखती है, जहां वह तकनीक और भव्यता के मामले में हॉलीवुड के साथ कदमताल कर सके। समीक्षकों का भी मानना है कि फिल्म पटकथा या संवादों के मामलें में कमजोर सी लगती है, कुछ दृश्यों को ‘थोर’ या ‘300’ से प्रेरित माना जा सकता है। लेकिन इसकी तकनीकी भव्यता इसके सारे ऐब मिटा देती है।
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फिल्म में प्रभास और राणा डुग्गुबत्ती ने शानदार अभिनय किया है। कटप्पा गुलाम के रोल में सत्यराज दमदार दिखे हैं। अभिनेत्रियां अनुष्का शेट्टी और तमन्ना भाटिया भी अपने किरदारों के साथ इंसाफ करती हैं। निर्देशक अपने 160 मिनट की इस फिल्म को अचानक से समाप्त कर देते हैं। यह 290 मिनट लंबी फिल्म का पहला हिस्सा है। इसका दूसरा भाग सितंबर के अंत तक प्रदर्शित होगा।