देश में किसानों की हालात किसी से छिपी नहीं। किसान कर्ज लेकर खेती करते हैं अगर वह कर्ज नहीं चुका पाते तो आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठा लेते हैं। सरकारें किसानों के हालातों को ठीक करने के प्रयास तो करती है लेकिन उनको पूरी तरह से इसका फायदा नहीं मिल पाता। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर का है जहां करोड़ों का घोटाला सामने आया है अधिकारियों ने सिर्फ कागजों पर ही किसानों को कई क्विंटल बीज बांट दिए। इस घोटाले का खुलासा एक फर्जी बिल से हुआ है।
साफ है कि किसानों के साथ धोखाधड़ी हुई है और उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा। यह घोटाला मायावती सरकार के कार्यकाल (2007 से 2012) के दौरान शुरू हुए और अखिलेश सरकार के कार्यकाल (2012 से 2017) के तक जारी रहे। दोनों के कार्यकाल में 16.16 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। वहीं अबतक 16.56 करोड़ रुपए की फर्जी रसीद का पता चला है यानि कि इतनी ही रकम का घोटाला किया जा चुका है।
कानपुर के अलावा अन्य जिलों में हो सकते हैं इसके तार
वर्तमान योगी सरकार को आशंका है कि यह घोटाला काफी बड़ा है। यह कानपुर (सरकार गोदाम) तक ही सीमित नहीं। सूबे के अन्य जिलों में भी इससे जुड़े फर्जीवाड़े सामने आ सकते हैं। इसी आशंका को देखते हुए राज्य सरकार आर्थिक अपराध शाखा को इसके बारे में पता लगाने के निर्देश दिए हैं।
मामले पर कृषि विभाग के अधिकारी उमाशंकर पाठक ने बताया कि ‘उत्तर बीज एवं विकास निगम की जांच के आधार पर इस मामले पर एफआईआर दर्ज की गई है। पिछले साल ही इस घोटाले की जानकारियां सामने आई थीं। बीज निगम ने कृषि विभाग के पास बिल भेजे थे जिनकी विस्तृत जांच की गई। जांच में पता चला कि इनमें 99 लाख के बिल फर्जी हैं। जिसके बाद घोटाले की विभागीय जांच शुरू की गई।’