उत्तर प्रदेश के ‘शो विंडो’ के रूप में मशहूर नोएडा की कार्यप्रणाली हमेशा से सवालों के घेरे में रही है। बड़े हादसों के बाद चौकन्ना दिखना तो रस्मअदायगी होती ही है। 29 जुलाई की रात खोड़ा कालोनी से शाहजहांपुर जा रहे परिवार की नाबालिग लड़की और महिला से गैंगरेप की दिल दहला देने वाली घटना के बाद भी इसकी कार्यप्रणाली में बदलाव नहीं हुए हैं। रेप, लूटपाट और हत्या जैसी वारदातों को अंजाम देने वाले बदमाश खुले आम नोएडा पुलिस को चुनौती दे रहे हैं। वहीं घटना को रोक पाने में नाकाम पुलिस भरपाई के लिए मुखबिरों के नेटवर्क के सहारे बदमाशों को गिरफ्तार कर प्रेस कांफ्रेंस के जरिए वाहवाही लूटने की कोशिश कर रही है। रात के वक्त पुलिस की मुस्तैदी परखी ‘जनसत्ता पड़ताल’ ने।
रात 10.45 बजे : नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर रात 10.45 बजे बड़ी संख्या में तेज रफ्तार में गाड़ियां गुजर रही थीं, लेकिन एक्सप्रेसवे पर करीब 3 किलोमीटर तक के इलाके में कहीं भी पीसीआर वैन नहीं मिली। आइटी सेक्टर में काम करने वाले कुछ युवक वहां कैब का इंतजार करते जरूर मिले। युवकों ने बताया कि कंपनी से वह एक ग्रुप में एक्सप्रेसवे तक आते हैं क्योंकि अकेले आने में लुटने का डर रहता है। पीसीआर कभी-कभार ही दिखाई देती है।
रात 11.25 बजे : एमिटी पुलिस चौकी
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे से पहले एमिटी पुलिस चौकी पर रात 11.25 बजे ताला लगा था। अंदर ट्यूबलाइट जल रही थी। हालांकि चौकी के दरवाजे के पास चौकी इंचार्ज का मोबाइल नंबर लिखा था। सेक्टर-37 से एक्सप्रेसवे तक जाने वाले इस रास्ते पर रात में लूटपाट की घटनाएं आम हैं। खासतौर पर परीचौक तक लिफ्ट देकर लूटने वाले ज्यादातर बदमाश इसी रास्ते से जाते हैं।
रात 11.10 बजे : आम्रपाली पुलिस चौकी
सेक्टर-46 में आम्रपाली सैफायर अपार्टमेंट के पास बनी चौकी पर रात 11.10 बजे अंधेरा था। आसपास कोई आवाजाही नहीं होने के कारण अनजान लोगों को वहां पुलिस चौकी होने का पता नहीं चल सकता। हालांकि चौकी में एक सिपाही कुर्सी पर बैठकर झपकी ले रहा था। नजदीक पहुंचने पर वह एकदम चौकन्ना होकर परेशानी के बारे में पूछने लगा। कुछ देर बाद एक अन्य पुलिसकर्मी मोटर साइकिल पर सवार होकर वहां पहुंचा। वह अपने साथ होटल से खाना लेकर आया था। उसने बताया कि तीन दिनों पहले चौकी के बाहर की लाइट खराब हो गई है।
जानकारों के मुताबिक, जनता की मांग और सत्ताधारी नेताओं के आगे बेहतर छवि बनाने के लिए नई पुलिस चौकियां तो खोल दी गई हैं, लेकिन जरूरत के हिसाब से पुलिसकर्मी नहीं मिले हैं। आलम यह है कि कुछ चौकियों पर महज दो या तीन पुलिसकर्मी ही तैनात हैं, जिन्हें कोई घटना होने पर मौके पर जाना पड़ता है और चौकी बंद करनी पड़ती है। सूत्रों के मुताबिक, पिछले एक साल के भीतर 8-10 नई चौकियां खुली हैं। पुलिसकर्मियों की कमी के कारण पहले सेना से सेवानिवृत्त जवानों को पुलिस के साथ लगाया गया था। ऐसे ज्यादातर जवानों को दिन में थाने पर मौजूद रखा जा रहा है। महिला पुलिसकर्मियों की संख्या कम होने के कारण चौकियों पर केवल पुरुष कर्मी ही ड्यूटी देते हैं। हालांकि बुलंदशहर की घटना के बाद शहर के कुछ थानों और भीड़-भाड़ वाले इलाकों की पुलिस चौकियों में सुधार भी आया है। सेक्टर-1, 6, 16ए, 9 आदि चौकियों पर रात में भी पुलिसकर्मी कुर्सी या बेंच पर बैठे मिल रहे हैं। पहले से विकसित हो चुके सेक्टरों और मार्केटों में पीसीआर भी खड़ी दिखाई दे रही है।
प्रस्तुति : आशीष दुबे