राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। दरअसल यूएपीए मामले में एक कंपनी के महाप्रबंधक को झारखंड हाईकोर्ट द्वारा मिली जमानत के खिलाफ एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले में कंपनी के महाप्रबंधक पर आरोप है कि कथित तौर पर उसका संबंध जबरन वसूली के लिए तृतीया प्रस्तुति समिति (टीपीसी) नामक एक माओवादी खंडित समूह के साथ है। इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट द्वारा उसे जमानत दी गई है।
एनआईए की अपील खारिज करते हुए सर्वोच्च अदालत ने जांच एजेंसी को फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि आप जिस तरह से जा रहे हैं, उससे लगता है कि आपको एक व्यक्ति के समाचार पत्र पढ़ने से भी समस्या है।
बता दें कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ के सामने अपील दायर की थी। जिसमें कहा गया कि प्रबंधक टीपीसी के जोनल कमांडर के निर्देश पर जबरन वसूली करता था। एजेंसी ने कहा कि टीपीसी सहकारी समितियों को भुगतान के लिए आरोपी ट्रांसपोर्टरों और डीओ धारकों से पैसे जुटा रहा था।
हालांकि जमानत को रद्द करने के लिए एनआईए द्वारा दायर की गई याचिका को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया है।
क्या है मामला: दिसंबर 2018 में आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड के महाप्रबंधक संजय जैन को टीपीसी से संबंध रखने व वसूली करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार होने के बाद वह दिसंबर 2021 में हाईकोर्ट से जमानत मिलने तक हिरासत में था। हाईकोर्ट में जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने संजय जैन को जमानत दी थी। साथ में कहा था कि यूएपीए अपराध प्रथम दृष्टया नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में हम पाते हैं कि आरोपी ने जांच पड़ताल में पूरा सहयोग किया है। अपने आवास की तलाशी और जब्ती के दौरान जांच एजेंसी के साथ सहयोग और 13 तारीख को गिरफ्तार होने से पहले उसने खुद छापेमारी टीम को सभी आवश्यक दस्तावेज और सूचनाएं प्रदान कीं। इसके अलावा अपीलकर्ता के पास से कोई भी आपत्तिजनक वस्तु बरामद नहीं हुई है।