देश के लाखों दिलों की धड़कन सलमान खान को इंसाफ मिल गया। उनकी लैंड क्रूजर के नीचे आकर जो मौत हुई और जो लोग जख्मी हुए, उसके लिए सलमान जिम्मेदार नहीं। पिछली बार जब निचली अदालत ने सलमान खान को सजा सुनाई थी तो बालीवुड बिरादरी परेशान हो उठी थी। मुंबई हाई कोर्ट का यह फैसला उन सब को भी राहत देगा। लगभग सभी एकमत हैं सलमान को इंसाफ मिल गया।
लेकिन इन सबके बीच एक अहम सवाल और भी है कि क्या इस हादसे में अपनी जान से हाथ धोने वाले नरुल्ला महबूब शरीफ को इंसाफ मिला? क्या उसके परिवार की जो तकलीफ बरकरार रही, इंसाफ की यह कवायद क्या उसे कोई राहत दे पाएगी? उस रात जब लैंड क्रूजर ने अपने टायरों के नीचे शरीफ और अन्य लोगों को कुचला आखिर कोई तो उसे चला रहा था, कौन? तेरह साल बाद अचानक नमूदार हुए अशोक सिंह का बयान यकीन के लायक था कि कार वह चला रहा था? अगर हां, तो कानून को तेरह साल गच्चा देने वाले अशोक सिंह के लिए इस इंसाफ में कोई व्यवस्था है?
क्या अशोक सिंह से पूछा जाएगा कि तेरह साल वह चुप क्यों रहा? जब सिंह ने कुबूल कर लिया कि कार वह चला रहा था तो क्या सलमान को इंसाफ देने के साथ ही सिंह की सजा की भी कोई व्यवस्था हुई? अगर सलमान की गाड़ी के नीचे आकर शरीफ नहीं मरा और उसकी मौत क्रेन के नीचे आने से हुई तो आखिर क्रेन के ड्राइवर के साथ क्या होगा? पूरे सिलसिले में उससे किसी ने पूछने की कोशिश भी की?
हाई कोर्ट की राय बड़ी साफ है। सलमान खान ने किसी को नहीं मारा? तो फिर किसने मारा? पुलिस ने इस मामले में जांच ठीक से नहीं की तो आखिर इन सब पुलिसवालों का क्या होगा जिनकी वजह से जांच में हेरफेर हुई? अदालत का मानना है कि अभियोजन पक्ष ने मामले को कमजोर किया? अगर कमजोर किया तो जानबूझ कर न्यायिक प्रक्रिया को एक कमजोर स्थिति में लाने वाले अभियोजन पक्ष के उन सब अधिकारियों या जो भी लोगों के दबाव में हुआ, उनका क्या होगा?
फैसले के बाद सलमान की आंखों से आंसू निकल गए। इंसाफ मिलते ही सलमान खुशी से रो पड़े। लेकिन सलमान हादसे के वक्त मौके पर मौजूद थे। वे मौके से भाग खड़े हुए। यह बात तो हाई कोर्ट ने भी मानी कि सलमान खान मौके से भागे लेकिन वे मजबूर थे। भीड़ से बचने के लिए भागे। जाहिर है कि सलमान ने मौके पर उन लोगों को अपनी ही गाड़ी के नीचे आने के बाद तड़पते हुए देखा, तो क्या अपनी खुशी में वे उन परिवारों के दुख को भूल गए। क्या दो आंसू उनके लिए भी उन्होंने बहाए?
सलमान मौके पर मौजूद थे, भाग खड़े हुए। गाड़ी उनकी थी। जाहिर है कि उन्हें मालूम था कि गाड़ी कौन चला रहा था? तो क्यों तेरह वर्ष तक उन्होंने अदालत के अंदर या बाहर जोरदार तरीके से यह नहीं कहा कि गाड़ी कौन चला रहा था? जांच में सहयोग क्यों नहीं किया? क्यों नहीं पकड़वाया असली मुजरिम को? इस मामले के चश्मदीद जिस रवींद्र पाटील की गवाही को निचली अदालत ने भरोसे लायक मानते हुए उन्हें पांच वर्ष की सजा सुनाई, उसी बयान को हाई कोर्ट ने संदेह के दायरे में रखा और सलमान को राहत मिल गई।
जिस वर्ग के व्यक्ति की जान गई और जिस वर्ग के व्यक्ति को उसके लिए राहत मिली इन दोनों वर्गों के बीच के फासले को समझने के लिए बालीवुड निर्देशक फराह खान का ट्वीट काफी है। फराह ने ट्वीट किया, ‘सलमान खान
को बड़ी राहत मिली है। इस हादसे को देखते हुए कानून बनाकर सड़क पर सोना बंद कर देना चाहिए, यह बहुत ही खतरनाक है’। फराह उस वर्ग से आती हैं जिन्हें शायद यह मालूम ही नहीं है कि हमारे देश में लाखों ऐसे लोग हैं जो मर्जी से नहीं बेघर होने की मजबूरी में सड़क पर सोते हैं। मामले में पिछली बार जब बहुत थोड़े समय के लिए सलमान खान को जेल जाना पड़ा तो इसके दुख में उसी वर्ग के लोगों ने अदालत परिसर में खुदकुशी की कोशिश की जो दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद पर्दे पर बजरंगी भाईजान की दबंगई को देख कर खुश हो लेते हैं और अगले दिन हाड़तोड़ मेहनत करने के लिए खुले आसमान के नीचे सपने देखते हैं। उन्हें इस सच को मानने में कोई गुरेज नहीं है कि हमारी मौत तो सड़क पर तय है, लेकिन सपने दिखाने वाले अपने हीरो को सलाखों के पीछे जाते देखना उन्हें रुला देता है।
हीरो सलामत है और बाजार में मनोरंजन कारोबार से जुड़े शेयरों में चार फीसद का उछाल आ गया है। जेसिका लाल वाले ‘इंसाफ’ को याद कर हम पूछ सकते हैं कि शरीफ को किसने मारा? सोशल मीडिया पर तंज करते हुए जब किसी ने कहा कि यह तो उसी कार का काम है, तो हमारे होंठ मुस्कुराना बंद कर देते हैं और दिमाग सोचने लगता है कि सलमान शरीफ निकले और शरीफ बदनसीब।
सड़क और संवेदना:
सलमान खान को बड़ी राहत मिली है। इस हादसे को देखते हुए कानून बनाकर सड़क पर सोना बंद कर देना चाहिए, यह बहुत ही खतरनाक है।… फराह खान, फिल्म निर्देशक