रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की वार्षिक रिपोर्ट और एक हालिया आरटीआई से पता चला है कि सरकार ने 2000 रुपए के नोटों की छपाई रोक दी है। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में एक भी 2000 का नोट नहीं छापा गया है। हालांकि आरबीआई ने दो हजार के नोट की छपाई अनिश्चितकाल के लिए रोकने के पीछे कोई कारण नहीं बताया है, लेकिन इसके पीछे जमाखोरी को एक बड़ा कारण माना जा रहा है। दरअसल सरकार ने कालेधन पर रोक लगाने के लिए नोटबंदी जैसा बड़ा फैसला किया था, लेकिन 2000 रुपए के बड़े नोट छापने के चलते शायद सरकार को इसमें सफलता नहीं मिला, क्योंकि जमाखोरी करने और गैरकानूनी धंधों के लिए 2000 का नोट ज्यादा मुफीद साबित हो रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार ने इस वजह से भी इन नोटों की छपाई फिलहाल रोक दी है।
इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि नोटबंदी के बाद मार्केट में नकदी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने बड़ी मात्रा में 2000 रुपए के नोट छापे। लेकिन अब 2000 के नोटों की छपाई रोक दी गई है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, साल 2016-17 में 500 रुपए के नोटों की वैल्यू कुल नोटों की वैल्यू के 22.5 प्रतिशत थी।
इसके बाद साल 2017-18 में यह बढ़कर 42 प्रतिशत और साल 2018-19 में बढ़कर 51 प्रतिशत हो गई थी। वहीं कुल संख्या की बात करें तो साल 2016-17 में बाजार में प्रचलित कुल नोटों में 5.09 प्रतिशत 500 रुपए के नोट थे, जो साल 2018-19 में बढ़कर 19.8 प्रतिशत हो गए।
इस समय 2000 रुपए के नोट कुल नोटों की वैल्यू के मुकाबले 31.2 प्रतिशत हैं, वहीं कुल संख्या के मुकाबले 3 प्रतिशत हैं। साल 2016-17 में जहां कुल सर्कुलेट नोटों की तुलना में 2000 के नोट 3.3 प्रतिशत थे, वही 2018-19 में यह आंकड़ा घटकर 3 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इसी तरह कुल नोटों की संख्या के मुकाबले साल 2016-17 में 2000 के नोट 50.2 प्रतिशत थे, जो 2018-19 में घटकर 31.2 प्रतिशत पर आ गए हैं।
माना जा रहा है कि अब सरकार 500, 200 और 1000 रुपए के नोटों की छपाई पर ध्यान दे सकती है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि 2000 रुपए के नोट सिस्टम में वापस नहीं आ रहे हैं। एटीएम से निकलने वाले नोटों को देखकर भी यह बात पुख्ता होती है, क्योंकि एटीएम से अब 500, 200 और 100 रुपए के नोट ही अधिकतर निकल रहे हैं।