वायुसेना प्रमुख RKS भदौरिया ने कहा है कि राफेल से चीनी कैंप में भय का माहौल है। इसी वजह से उसने LOC पर J-20 एयरक्राफ्ट तैनात कर दिए हैं। उनका दावा है कि भारत ने चीनी सेना को जवाब देने के लिए सीमा पर पर्याप्त सेना की तैनाती कर रखी है।
उनका कहना है कि चीन के साथ बातचीत लगातार जारी है। सारी चीजें वार्ता के परिणाम पर तय करती हैं। अगर सीमा से सेना को पीछे हटाने पर सहमति बनती है तो यह अच्छा होगा, लेकिन अगर स्थितियों में बदलाव होता है तो सेना इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। एक न्यूज एजेंसी से उन्होंने कहा कि सेना का काम होता है हर कीमत पर अपनी सीमा की रक्षा करना और इसके लिए एयरफोर्स तैयार है।
उन्होंने कहा कि पूंजीगत खर्च में (20,000 करोड़ रुपये) की बढ़ोतरी सरकार का बड़ा कदम है। पिछले साल भी 20,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त फंड उपलब्ध कराए गए थे। जिससे तीनों सेनाओं को मदद मिली। मुझे लगता है कि यह हमारी क्षमता निर्माण के लिए पर्याप्त है। वहीं चीन से विवाद को देखते हुए भारतीय वायुसेना LAC के पास 30 नए स्क्वाड्रन शुरू करने जा रही है।
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब आम बजट में सेना को पिछली बार की अपेक्षा 7.4% रकम ज्यादा मुहैया कराई गई है। इस बार सेना को 3.62 लाख करोड़ रुपए मुहैया कराए गए हैं। इसमें पेंशन की रकम शामिल नहीं है। सीमा पर तनाव को देखते हुए लोगों की नजर इस बात पर लगी थी कि सरकार रक्षा क्षेत्र को कितना बजट मुहैया कराती है। इस मामले में अमेरिका सबसे ऊपर है और चीन नंबर दो पर है। दोनों ही देश अपने रक्षा बजट को अहमियत देते हैं।
गौरतलब है कि वायुसेना प्रमुख ने इससे पहले जनवरी में कहा था कि भारतीय वायुसेना ने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान कार्यक्रम की शुरुआत की है। इसमें छठी पीढ़ी की कुछ क्षमताओं को भी शामिल करने की योजना है। उन्होंने कहा कि हमने थोड़ा विलंब से पांचवीं पीढ़ी के विमान पर काम करना शुरू किया, इसलिए तत्कालीन प्रौद्योगिकियों और सेंसर को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में शामिल किया जाएगा।