देश में मौजूद निवेश विकल्पों में से पीपीएफ एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है। पीपीएफ निवेश के साथ लोगों को टैक्स बेनेफिट, उच्च ब्याज दर और भारत सरकार की तरफ से निवेश पर मिलने वाली गारंटी जैसी सुविधाएं मिलती हैं। इसके साथ ही पीपीएफ निवेश पर कई अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं, जिनमें खास है कि पीपीएफ की रकम कोर्ट ऑर्डर से भी इम्यून होती है।

जो लोग निवेश पर टैक्स बेनेफिट लेना चाहते हैं, उनके लिए पीपीएफ सबसे बेहतरीन विकल्प है। पीपीएफ में मिलने वाली रकम पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत छूट मिलती है। हालांकि इसके लिए एक वित्तीय वर्ष में रकम जमा करने की वैधानिक सीमा तय की गई है। यह वैधानिक सीमा 1,50,000 रुपए है।

कोई भी व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में डेढ़ लाख रुपए तक ही पीपीएफ खाते में जमा कर सकता है। यदि व्यक्ति ने अपने बच्चे के लिए भी पीपीएफ खाते में निवेश किया है तो दोनों के खाते में जमा होने वाली कुल रकम की लिमिट भी डेढ़ लाख रुपए ही होगी। डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा की रकम यदि खाते में जमा हो जाती है तो इस ज्यादा रकम पर सरकार की तरफ से कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा। ऐसे में व्यक्ति इस अतिरिक्त रकम को खाते से निकाल सकता है और इसके लिए कोई लॉक-इन पीरियड की बाध्यता भी नहीं है।

टैक्स बेनेफिट के साथ ही पीपीएफ खाते में मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम भी टैक्स फ्री होती है, जो कि पीपीएफ में निवेश को और भी आकर्षक बना देती है। वहीं जिस ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा निवेश किया गया है यदि वह दिवालिया हो जाती है तो निवेश की पूरी रकम सरकार द्वारा दी जाएगी। ऐसे में पीपीएफ निवेश पर लोगों के सुरक्षा की भी पूरी गारंटी मिलती है। इस योजना में ब्याज दर सरकार द्वारा त्रैमासिक अवधि में तय की जाती है। आमतौर पर पीपीएफ में ब्याज दर खासी आकर्षक होती है।

सरकार की तरफ से निवेश पर मिलने वाली गारंटी के साथ ही पीपीएफ खाते को किसी भी कोर्ट ऑर्डर द्वारा अटैच नहीं किया जा सकता है। ऐसे में किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई में फंसने से नुकसान की भी यहां कोई संभावना नहीं है। इसका मतलब ये है कि यदि किसी इंसान के किसी बिजनेस लायबिलिटी में फंसने या कानूनी कार्रवाई की जद में आने पर उसकी सारी संपत्ति अटैच हो सकती है, लेकिन पीपीएफ खाते को अटैच नहीं किया जा सकता है।