बिहार में एनडीए की जीत के बाद नीतीश कुमार ने सोमवार को सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। बिहार में बड़ी मुस्लिम आबादी के बावजूद उनके मंत्रिमंडल में कोई भी मुस्लिम शामिल नहीं है। एनडीए में केवल जेडीयू ने ही 11 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे थे लेकिन वे सभी चुनाव हार गए। अब विधान परिषद से ही किसी अल्पसंख्यक समुदाय के शख्स को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। नीतीश के मंत्रिमंडल में दलित, भूमिहार, ब्रह्मण, यादव और राजपूत सभी शामिल हैं।
इस बार बिहार में मुस्लिम विधायकों की संख्या भी 24 से घटकर 19 हो गई है। 2015 के चुनाव में 25 मुस्लिम प्रत्याशी चुनकर विधानसभा पहुंचे थे लेकिन इस बार AIMIM के पांच और आरजेडी के 8 विधायक ही जीत सके हैं। इसके अलावा चार कांग्रेस से और 1-1 सीपीआई (एम) और बीएसपी से हैं। बिहार में 15 फीसदी मुस्लिम आबादी है। पिछली बार नीतीश सरकार में खुर्शीद उर्फ फिरोज अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे लेकिन इस चुनाव में उन्हें भी हार का मुंह देखना पड़ा। अब मंत्रिमंडल के विस्तार के समय ही इसमें मुस्लिम चेहरा शामिल हो सकता है। अभी भी जेडीयू में पर्याप्त संख्या में मुस्लिम पार्षद हैं।
मंत्री रहे खुर्शीद ने बिहार विधानसभा में एनडीए का विश्वासमत हासिल करने के दौरान विधानसभा में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया था। हालांक इस चुनाव में उन्हें इसका भी कोई फायदा नहीं मिला। खुर्शीद ने बाद में इसके लिए माफी भी मांगी थी। जय श्री राम का नारा लगाने पर उनके खिलाफ इमारत-ए-शरिया ने फतवा जारी कर दिया। इसके बाद खुर्शीद ने कहा था, ‘मैं उन सभी लोगों से माफी मांगता हूं, जिन्हें तकलीफ हुई है। मैंने किसी को गाली नहीं दी। किसी ने मुझसे पूछा नहीं के मेरे दिल में क्या है?’
बिहार चुनाव में पीएम मोदी और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी प्रचार की कमान संभाली थी। इस दौरान जय श्री राम के नारे लगवाए गए। कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के नाम पर वोट मांगे गए। इस तरह नीतीश की ऐंटीइनकंबेंसी पर ध्रुवीकरण भारी पड़ गया। बीजेपी और जेडीयू का मूल बिल्कुल अलग है। 1970 में अब्दुल गफ्फूर ने समता पार्टी बनाई थी और बाद में इसी से 1999 में जेडीयू बनी। 1952 से 2020 तक सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक 1985 में चुने गए। उस साल 34 विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। 1952 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था और तब 24 मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे। 2010 में 16 मुसलमान विधायक थे।
बिहार के सीमांचल और मिथिलांचल में बड़ी मुस्लिम आबादी है और राज्य के इतिहास में भी मुस्लिमों का खासा योगदान है। पटना एयरपोर्ट रोड का नाम पीर अली मार्ग है जो कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी थी। तकी रहीम जयप्रकाश नारायण के दाहिने हाथ माने जाते थे। लालू प्रसाद यादव के पहले कार्यकाल के दौरान गुलाम सरवार विधानसभा अध्यक्ष थे। नीतीश की सरकार में 2017 में खुर्शीद को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। इस बार बिहार में अटल के जमाने के केवल एक नेता सुशील मोदी को भी किनारे कर दिया गया। रेणु देवी और तार किशोर को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।