मध्यप्रदेश का मुल्तानपुरा गांव जो की पहले ‘विधवाओं के गांव’ के नाम से बदनाम था, अब उसकी गिनती ‘गाय की तस्करी’ करने वाले बदनाम गांवों में भी होने लगी है। मध्यप्रदेश के मंडसौर शहर से 10 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में स्लेट पैंसिल की बड़ी फैक्ट्री है। गांव में कुछ और काम ना होने की वजह से यहां के लोग इसी फैक्ट्री में काम करते थे और फिर फेफड़े की बीमारी हो जाने की वजह से जल्दी मर जाते थे। इस वजह से कई लोगों ने ज्यादा पैसा कमाने और जान बचाने के लिए गाय की तस्करी का काम करना शुरू कर दिया। 2016 की मई 31 को राजस्थान में गाय की तस्करी करने वाला एक गैंग पकड़ा गया था। इस ग्रुप में 8 लोग पकड़े गए थे जिनमें से 6 मुल्तानपुरा गांव के थे और बाकी लोग इसके आस-पास के गांव के। ये लोग दो ट्रकों में गायों को भरकर राजस्थान के रास्ते से गुजरात के कसाई खाने ले जा रहे थे।
मंडसौर से बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया भी मुल्तानपुरा के लोगों को गौतस्करी में शामिल होने वाला बताते हैं। यशपाल सिंह ने कहा, ‘मेरे चुनावी क्षेत्र में यह सबसे संवेदनशील इलाका है। गाय की तस्करी का गिरोह यहीं से चलाया जाता है। यहां के कई लोग गौतस्कर हैं। कुछ लोग सबूत ना हो पाने की वजह से छूट जाते हैं। प्रशासन को उन लोगों की पहचान करनी चाहिए।’
वहीं मुल्तानपुरा गांव के सरपंच फारुख लक्कड यशपाल की बात को गलत बताते हैं। उनका कहना है कि 20 प्रतिशत से भी कम लोग गाय की तस्करी जैसे कामों से जुड़े हैं। फारुख मानते हैं कि गांव में कोई काम ना होने की वजह से लोग ऐसे गैरकानूनी काम करते हैं।

31 मई को पकड़े गए लोगों से पहले 2007 में भी ऐसे मामले सामने आए था। उस साल गौतस्कर के आरोप में पकड़े गए 64 लोगों में से 40 मुल्तानपुरा के ही थे। हालांकि, गांव वालों ने उन लोगों का साथ कभी नहीं दिया। उनपर केस अभी चल रहा है। उनमें से कुछ लोग मर भी गए और जो बचे हैं उनको गांव से बाहर निकाल दिया गया था।