कांग्रेस नेता नाना पटोले ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना त्यागपत्र डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को सौंपा। चर्चा है कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस की कमान मिल सकती है। नाना पटोले कभी बीजेपी के झंडे तले राजनीति करके सांसद बने थे।

पहले नाना पटोले कांग्रेसी नेता थे। 2014 में कांग्रेस छोड़कर वे बीजेपी में शामिल हो गए थे। वह सांसद चुने गए थे। 2019 में उन्होंने फिर से यू टर्न लिया और बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आ गए। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनी सरकार में उन्हें विधानसभा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। नाना को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। फिलहाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी बालासाहेब थोराटा के पास है। वे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी हैं।

महाराष्ट्र कांग्रेस में लगातार नए अध्यक्ष की मांग की जा रही है। कुछ नेताओं ने एक व्यक्ति एक पद के स्लोगन के साथ नए प्रदेश अध्यक्ष की मांग की थी। नए अध्यक्ष के लिए जल्द ही कांग्रेस आला कमान की तरफ से निर्णय लिया जाएगा। इस संभावना को देखते हुए महाराष्ट्र के कई कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अपनी गोटे फिट करनी शुरू कर दी हैं।

ध्यान रहे कि महाविकास अघाड़ी सरकार की स्थापना के बाद एक अनुभवी नेता के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के नाम की चर्चा विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए हुई थी। हालांकि उस समय एनसीपी ने इस बात का विरोध किया, जिसकी वजह से चव्हाण को यह जिम्मेदारी नहीं मिल सकी थी।

नाना पाटोले के इस्तीफे के बाद विधानसभा अध्यक्ष का पद रिक्त हो गया है। कांग्रेस आलाकमान को इस पद के लिए किसी नेता का चयन करना होगा। विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए विजय वडेट्टीवार और नितिन राऊत के नाम की भी चर्चा है। पृथ्वीराज चव्हाण का नाम भी फिर से एक बार चर्चा में आया है। माना जा रहा है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार को साधकर वह इसके लिए लाबिंग जरूर करेंगे।

जानकारों का कहना है कि अभी महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नतृत्व में सरकार चल रही है। एनसीपी और कांग्रेस इसमें साझीदार हैं। कांग्रेस को अपने पत्ते सावधानी से खेलने होंगे। क्योंकि बीजेपी लगातार राज्य की सत्ता पर नजर रख रही है। वह पहले भी एनसीपी में तोड़फोड़ करने की कोशिश कर चुकी है। यहां तक कि अजित पवार को अपने पाले में लाकर देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले चुके हैं। फडणवीस अभी तक सीएम बनने की हसरत पाले बैठे हैं। कांग्रेस को भी अपने विधायकों में टूटफूट होने का डर अक्सर बना रहता है।