राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा है कि किसानों को नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के सिवाय कुछ भी मंजूर नहीं है। सरकार की कठोर रणनीति काम नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि सड़कों पर बिछाई गईं कीलें भाजपा के ‘‘राजनीतिक ताबूत’’ की कीलें साबित होंगी।

कृषि कानूनों के खिलाफ जोर-शोर से अभियान चला रहे चौधरी ने कहा कि सरकार को इन कानूनों को तुरंत वापस लेना चाहिए और किसानों की सहमति के बाद इन्हें तैयार करना चाहिए। एक साक्षात्कार में उन्होंने आरोप लगाया कि देश के मौजूदा नेतृत्व को भावनाओं की परवाह नहीं है। वह दंगे, मौत या प्रदर्शन से व्याकुल नहीं होता, क्योंकि वह अपने दायरे में सिमटा हुआ है।

पूर्व सांसद ने कहा, अगर आप भाजपा के विधायक या सांसद से अनौपचारिक बातचीत करें तो पता चलेगा कि वे भी खुश नहीं है। चौधरी ने कहा कि वह किसानों के हर धरना स्थल पर गए हैं, किसानों की पंचायतों को संबोधित किया है। उन्हें लगता है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के किसानों के बीच एक भावनात्मक जुड़ाव बन गया है।

रालोद नेता ने कहा कि किसान अपने गांव छोड़कर आए हैं। उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया है। अब तक करीब 150 किसानों की मौत हो चुकी है। वे अब भी लौटना नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि कानून बनाना सरकार का विशेषाधिकार है, लेकिन जनता की इच्छा सर्वोपरि होती है। दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन स्थल के आसपास सड़कों पर कीलें लगाए जाने पर उन्होंने कहा, इससे बहुत व्यथित करने वाली तस्वीरें दुनिया के सामने गईं हैं।

कृषि कानूनों को 18 महीने के लिए स्थगित किए जाने के प्रस्ताव पर चौधरी ने कहा कि इस प्रस्ताव पर प्रदर्शनकारी किसान संगठनों या खुद किसानों ने भी कोई रजामंदी नहीं दिखाई। चौधरी ने कहा कि 18 महीने बाद भी वही समस्या पैदा होगी और सरकार कहेगी कि हमने उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दिया है इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते। इन कानूनों को पूरी तरह खत्म कर सरकार को किसानों से संवाद करना चाहिए।

अपने पिता और रालोद अध्यक्ष अजित सिंह द्वारा भारतीय किसान यूनियन को समर्थन दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर जयंत चौधरी ने कहा कि यह टिकैत बंधुओं (नरेश और राकेश टिकैत) के साथ गठबंधन नहीं है बल्कि किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए यह समर्थन दिया गया है। जयंत ने कहा, हम उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार का सामना कर रहे हैं जहां किसी भी असहमति को ताकत का इस्तेमाल करते हुए दबा दिया जाता है। यही कारण है कि चौधरी अजित सिंह ने टिकैत बंधुओं से संपर्क किया और कहा कि हम आपके साथ हैं, आप डटे रहिए।