भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने गुरुवार को पूरे देश के खेलप्रेमियों के चेहरे पर वो मुस्कान दी जो पिछले 41 सालों से लापता थी। भारतीय हॉकी टीम ने 1980 के बाद जारी टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर भारतीय हॉकी टीम के ओलंपिक इतिहास का 12वां मेडल जीता। इस 12वें मेडल के साथ भारतीय हॉकी टीम ने विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया जिसे कम से कम 2024 पेरिस ओलंपिक तक कोई नहीं तोड़ पाएगा।
आपको बता दें इससे पहले भारतीय हॉकी टीम ने 8 गोल्ड, एक सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल जीते थे। टोक्यो ओलंपिक का ब्रॉन्ज भारतीय पुरुष हॉकी के ओलंपिक इतिहास का 12वां मेडल है। इससे पहले भारत और जर्मनी 11 मेडल के साथ ओलंपिक इतिहास में सबसे ज्यादा मेडल जीतने के मामले में संयुक्त रूप से टॉप पर थे। अब भारत ने 12 मेडल के साथ विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है।
अगर इस लिस्ट की टॉप चार टीमों की बात करें तो भारत अब 12 ओलंपिक मेडल के साथ नंबर एक पर है। वहीं जर्मनी पिछड़ने के बाद 11 मेडल के साथ दूसरे स्थान पर है। इसके अलावा तीसरे और चौथे स्थान पर क्रमश: 9-9 मेडल के साथ ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड हैं।
गौरतलब है कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने आज ब्रॉन्ज मेडल मैच में जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल का इंतजार खत्म किया। 1980 के बाद से भारतीय हॉकी टीम कोई भी मेडल ओलंपिक में नहीं जीत पाई थी। ये पल हर भारतीय प्रशंसक के लिए ऐतिहासिक था। भारत की इस जीत के प्रमुख नायक रहे गोलकीपर पी. आर. श्रीजेश ।
आखिरी चंद सेकंड में जर्मनी को मिले पेनल्टी कॉर्नर को जैसे ही गोलकीपर पी. श्रीजेश ने रोका , भारतीय खिलाड़ियों के साथ टीवी पर इस ऐतिहासिक मुकाबले को देख रहे करोड़ों भारतीयों की भी आंखें नम हो गई।
जर्मनी पर 5-4 से मिली इस रोमांचक जीत के कई सूत्रधार रहे जिनमें दो गोल करने वाले सिमरनजीत सिंह ((17वें मिनट और 34वें मिनट), हार्दिक सिंह (27वां मिनट), हरमनप्रीत सिंह (29वां मिनट) और रूपिंदर पाल सिंह (31वां मिनट) तो थे ही लेकिन आखिरी पलों में पेनल्टी बचाने वाले गोलकीपर श्रीजेश भी इसमें शामिल हैं।