भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के गुम एनएन-32 विमान हादसे में कोई जीवित नहीं बचा। वायुसेना ने गुरुवार (13 जून 2019) को इसकी पुष्टि की। वायुसेना के मुताबिक हादसे में सभी 13 लोग शहीद हो गए। वायुसेना ने किसी के भी जिंदा नहीं बचने होने की पुष्टि की है। वायुसेना ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर कहा है कि इस दुख की घड़ी में सेना शहीदों के परिवार के साथ खड़ी है।

विमान का मलब अरुणाचल प्रदेश के लीपा में मिला था। क्रैश साइट पर 8 सदस्यों को बचाव दल भी पहुंचा। आईएएफ ने घटनास्थल के आसपास सर्च ऑपरेशन चलाया।

बता दें कि यह विमान असम के जोरहाट से अरुणाचल प्रदेश के मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के लिए उड़ान भरने के बाद तीन जून को लापता हुआ था, जिसमें कुल 13 लोग सवार थे। इसमें चालक दल के आठ सदस्य और पांच यात्री थे। उस दौरान रूसी मूल के इस विमान का संपर्क  टूट गया था। इसके बाद विमान का मलबा करीब नौ दिन बाद 11 जून को मिला।

गुम विमान का पता लगाने के लिए ऑपरेशन में सुखोई-30 विमान भी लगाया गया था, जिसके साथ सी-130जे और एएन-32 विमानों की भी बेड़ा भी शामिल था। जमीनी बलों में सेना, आईटीबीपी और राज्य पुलिस के जवान शामिल थे। विमान के बारे में जानकारी जुटाने के लिए इसरो के कैर्टोसैट और रीसैट सैटेलाइट्स की मदद ली गई थी। इनके जरिए मेंचुका इलाके के आसपास की तस्वीरें ली गई थीं।

विमान में ये लोग थे सवार
विंग कमांडर जीएम चार्ल्स,  स्क्वॉड्रन लीडर एच विनोद, फ्लाइलट लेफ्टिनेंट आर थापा, फ्लाइलट लेफ्टिनेंट ए तनवर, फ्लाइलट लेफ्टिनेंट एस मोहंती, फ्लाइलट लेफ्टिनेंट एमके गर्ग, वॉरंट ऑफिसर केके मिश्रा, सार्जेंट अनूप कुमार, कॉरपोरल शेरिन, लीड एयरक्राफ्ट मैन एसके सिंह, लीड एयरक्राफ्ट मैन पंकज, गैर-लड़ाकू (नॉन-कॉम्बैटेंट) पुताली और राजेश कुमार।