पुरानी दिल्ली को मोटर फ्री जोन बनाने का दिल्ली सरकार का सपना साकार होता नजर नहीं आ रहा है। सरकार के इस फैसले से इलाके के व्यापारियों में खासी नाराजगी है। सरकार को 22 से 25 मई तक पुराने शहर में इस योजना का परीक्षण शुरू करना था, जिसे फिलहाल टाल दिया गया है। यहां के व्यापारी संगठनों का कहना है कि इलाके को लेकर काफी वक्त से कई सरकारें जो भी फैसले ले रही हैं, उनसे यहां के व्यापारियों को दूर रखा जा रहा है।
बताते चलें कि आम आदमी पार्टी की सरकार चांदनी चौक की भीड़ को कम करने के लिए इस इलाके को मोटर फ्री जोन बनाने पर विचार कर रही है। इसके लिए पहले चरण में यहां परीक्षण शुरू किया जाना था, जिसमें लालकिले से फतेहपुरी तक वाहनों के आने-जाने पर रोक लगाई जानी थी। पुरानी दिल्ली की रंगत को निखारने के लिए करीब 14 साल पहले चांदनी चौक पुनर्विकास योजना तैयार की गई थी। इस योजना पर आज तक अमल नहीं हो पाया है। योजना को लेकर कई विसंगितयां और व्यापारी संगठनों का विरोध भी है, जिसके कारण यह अधर में लटकी है। ऐतिहासिक चांदनी चौक अपने स्थापना काल से ही एक व्यावसायिक क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया है। यहां पर लाल किले से लेकर फतेहपुरी तक करीब एक लाख व्यापारियों की दुकानें हैं। चांदनी चौक सिर्फ थोक केंद्र ही नहीं बल्कि सेमी थोक और खुदरा केंद्र भी है। यहां पर रोजाना करीब पांच से सात लाख लोग खरीदारी के लिए आते हैं।
लालकिले के पास एक ओर लाजपत राय मार्केट और दूसरी ओर पुराना लाजपत राय मार्केट है, जहां पर इलेक्ट्रॉनिक और घड़ियों का होल सेल व्यापार होता है। उससे आगे भागीरथ पैलेस है, जहां दवाइयों व इलेक्ट्रॉनिक सामान का व्यापार होता है। थोड़ा आगे चलें तो फोटो मार्केट और साइकिल मार्केट है। फव्वारे से लेकर फतेहपुरी तक दोनों तरफ थोक कपड़े का व्यापार होता है। लाल किले से लेकर फतेहपुरी तक विभिन्न कटरे और कूंचे हैं, जहां पर थोक व्यापार होता है। फतेहपुरी से पहले बल्लीमारान है, जहां फुटवियर और चश्मे का व्यापार होता है। फतेहपुरी से आगे जाएं तो ड्राईफ्रूट, दाल और मसालों का थोक बाजार है।
दिल्ली के सबसे पुराने देहली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिशन के अध्यक्ष सुरेश बिंदल का कहना है कि चांदनी चौक को लेकर जो भी फैसले लिए जा रहें हैं, वे पूरी तरह से अव्यावहारिक हैं। चांदनी चौक को नो व्हीकल जोन बनाने से यहां की गलियों में माल ढुलाई पर खासा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि करीब 14 साल पहले कांग्रेस सरकार चांदनी चौक पुनर्विकास योजना लेकर आई थी, जोकि अभी तक अटकी पड़ी है। उस योजना का एक सिरा कोड़िया पुल से लेकर फतेहपुरी तक तैयार हो गया था। वहां अलग रिक्शा जोन, पैदल चलने वालों के लिए अलग रास्ता और वाहनों की आवाजाही के लिए एक अलग रास्ता तैयार किया गया था।
उन्होंने बताया कि अब सरकारी अधिकारियों से उस काम की यथास्थिति रिपोर्ट मांगते हैं, तो कोई भी उसका जवाब देने के लिए तैयार नहीं है। इसके कारण उस जगह पर चारों तरफ से अवैध कब्जे हो रहे हैं। यहां पर पैदल चलने वालों और रिक्शा चालकों के लिए जो लेन तैयार की गई थी, उस पर पटरी विक्रेताओं ने कब्जा कर लिया है। बिंदल का कहना है कि आप सरकार ने फैसला लिया है कि जब तक पटरी वालों को कोई वैकल्पिक स्थान उपलब्ध नहीं हो जाता, तब तक उन्हें हटाया नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि यहां कोई भी नई योजना तब तक सफल नहीं हो पाएगी, जब तक अवैध कब्जों को हटाया नहीं जाएगा।
चांदनी चौक सर्वव्यापार मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गोयल के मुताबिक, पुराने शहर की भीड़भाड़ को कम करने के लिए एक समय यहां पर रिक्शा के बजाए बैटरी बसें शुरू की गई थीं। यह सेवा करीब तीन साल तक चली और फिर बैटरी बसें बंद हो गर्इं क्योंकि उनकी बैटरी को चार्ज करने और बसों को रात में खड़ा करने की कोई व्यवस्था नहीं थी। यहां के व्यापारियों का मानना है कि सरकार को चांदनी चौक को मोटर फ्री जोन बनाने के बजाए नो पार्किंग जोन बनाने का फैसला लेना होगा। उनका कहना है कि लालकिले से लेकर फतेहपुरी तक सड़कों के दोनों तरफ वाहनों की दो से तीन कतारें देखी जा सकती हैं। व्यापारियों ने बताया कि कुछ समय पहले 26 जनवरी की परेड खारी बावली से होकर लालकिले तक जाती थी और उसमें टैंक भी गुजरते थे और अगर टैंक यहां से गुजरते थे, तो यह साफ है कि चांदनी चौक के लाल किले से लेकर फतेहपुरी तक के रास्ते तंग नहीं हैं।
व्यापारी नेता अजय शर्मा का भी कहना है कि चांदनी चौक को मोटर फ्री जोन बनाने के बजाए नो पार्किंग जोन बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रिंग रोड पर घंटा मसजिद से लेकर बाबू जगजीवन राम की समाधि तक की सर्विस लेन पर पार्किंग बनाई जा सकती है। यहां व्यापारी अपने वाहन खड़े करके बैटरी रिक्शा के जरिए अपनी दुकानों पर आ-जा सकते हैं और जाम की समस्या से निजात मिल सकती है।

