दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) का विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के ‘यूजीसी रेगुलेशन (तीसरा संशोधन)2016’ सर्कुलर (प्रोन्नति का मुद्दा) पर दाखिला प्रक्रिया का बहिष्कार शुक्रवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। शिक्षकों को जैसे ही पता चला कि खालसा कॉलेज में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी आने वाली हैं, और उनकी अगुआई में कुलपति पहुंचने वाले हैं, काफी कम समय में सैकड़ों की तादात में वे कॉलेज के बाहर जुटे और प्रदर्शन किया।
स्मृति ईरानी शुक्रवार को गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज में गुरु अंगद देव टीचर एंड लर्निग सेंटर का उद्घाटन करने पहुंची थीं।

उनके स्वागत के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन का पूरा अमला वहां मौजूद था। आनन-फानन में पुलिस बल बुलाया गया और प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर थाने ले जाया गया, जहां से दोपहर बाद उन्हें जाने दिया गया। शिक्षक नेताओं के मुताबिक, ऐसा पहली बार हुआ जब इतने कम समय में इतने बड़े पैमाने पर शिक्षक एक जगह जुटे और प्रदर्शन किया। यह अलग बात है कि बैनर, पोस्टर व विरोध की तख्तियां पहले वाले प्रदर्शनों के थे।

बहरहाल, शिक्षक ‘खालसा-जमावड़ा’ के बाद भी अपने पहले की रणनीति पर कायम हैं। पहली कटआॅफ के तहत तीन दिन तक टलने वाली दाखिला प्रक्रिया का बहिष्कार जारी है। इसका खमियाजा दाखिला प्रक्रिया पर पड़ रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने दूसरे दिन भी गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को दाखिले की खिड़की पर बैठा कर काम लिया। दाखिले हुए भी। इस बीच शुक्रवार को एससीएसटी टीचर्स फोरम का एक प्रतिनिधिमंडल ने डीन छात्र कल्याण से मिलकर दावा किया कि आॅनलाइन नामांकन प्रक्रिया में इस वर्ग के सामने बड़ी परेशानी उभर कर सामने आ रही है।

आरक्षित वर्ग से आने वाले ऐसे छात्र जो आ रहे हैं उन्हें नियमत: सामान्य श्रेणी में प्रति वर्ष प्रवेश मिलता रहा है। लेकिन आॅनलाइन प्रवेश प्रक्रिया के कारण उन अभ्यर्थियों के नामांकन फार्म जमा नहीं किये जा रहे। इस बाबत फोरम के प्रतिनिधि डॉक्टर हंसराज सुमन ने बताया कि आॅनलाइन प्रवेश प्रक्रिया से आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों को ज्यादा परेशानी हो रही है जिन्होंने आवेदन तो आरक्षित वर्ग में किया है लेकिन वे सामान्य वर्ग की अहर्ताओं को पूरा कर रहे हैं। लेकिन ज्यादातर कॉलेज उन्हें इस श्रेणी में नामांकन देने से इनकार कर रहे हैं।