बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में शुक्रवार को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कथित अनियमितताओं के संबंध में कई आवेदन दायर करने वाले एक आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई। कार्यकर्ता को दो अज्ञात व्यक्तियों ने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया।

स्थानीय पुलिस ने कहा कि यह घटना हरसिद्धि में सुबह करीब 11.30 बजे हुई जहां एक मोटरसाइकिल पर अज्ञात हमलावरों ने 45 वर्षीय विपिन अग्रवाल को उनके निवास के बाहर गोली मार दी। उन्होंने बताया कि अग्रवाल ने अस्पताल ले जाने के दौरान गोली लगने से दम तोड़ दिया। पुलिस ने कहा कि मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। 2008 से अब तक बिहार में कम से कम 20 आरटीआई कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं।

एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि अग्रवाल ने जिले में कथित रूप से अतिक्रमण की गयी सरकारी जमीन और संपत्ति का ब्योरा मांगते हुए कई आरटीआई आवेदन दिये थे। अग्रवाल ने इस क्षेत्र में भ्रष्ट गतिविधियों को लेकर अपनी आवाज उठायी थी।

अधिकारी के अनुसार, आरटीआई कार्यकर्ता के परिवार के सदस्यों ने कहा कि उनकी हत्या के पीछे स्थानीय भू-माफिया का हाथ हैं। परिवार वालों ने पुलिस से मांग की है कि हमलावरों का पता लगाया जाए और “निष्पक्ष जांच” शुरू की जाए। उन्होंने कहा कि अग्रवाल ने अपनी जान का खतरा होने की आशंका जताई थी और पुलिस सुरक्षा की मांग की थी।

स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि अग्रवाल ने हरसिद्धि प्रखंड में करीब आठ एकड़ के कथित अवैध कब्जा को लेकर 2013 में पटना उच्च न्यायालय में मामला दर्ज कराया था। अधिकारियों ने बताया कि इसके बाद उच्च न्यायालय ने 90 लोगों को जमीन खाली करने के लिए नोटिस जारी किया था। पुलिस ने बताया कि अग्रवाल पर पहले भी 2020 में हरसिद्धि में उनके घर पर हमला किया गया था।

अग्रवाल के पिता विजय कुमार अग्रवाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरा बेटा सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को लेकर आरटीआई अर्जी दाखिल करता था। स्थानीय भू-माफिया उसे निशाना बना रहे थे। हाल ही में उन्होंने हरसिद्धि बाजार में कुछ भूमि अतिक्रमणकारियों का पर्दाफाश किया था।

उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने पहले पुलिस सुरक्षा और उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जाने को लेकर स्थानीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अरेराज डीएसपी अभिनव धीमान ने कहा, “हमें पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हम संदिग्धों की तलाश में छापेमारी कर रहे हैं। मामला जमीन पर कब्जा करने वालों से जुड़ा लग रहा है।”

नागरिक अधिकार मंच के संयोजक और प्रमुख आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय ने कहा, “अग्रवाल ने भूमि अतिक्रमणकारियों का पर्दाफाश करने के लिए कई आरटीआई दायर किए थे। राज्य में किस तरह से आरटीआई कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है, यह देखना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। 2014 में, मुजफ्फरपुर स्थित एक संगठन ने भूमि अतिक्रमण और पीडीएस अनियमितताओं को उजागर करने के लिए अग्रवाल को यूथ आइकन अवार्ड दिया था।”