चीन में तेजी से पैर पसार रहे कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते भारत में प्रभावित मरीजों के लिए मुस्तैदी दिखाते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक अलग वार्ड बनाया गया है। एम्स में नए कोरोना वायरस से संक्रमित होने के किसी भी संदिग्ध मामले के सामने आने पर यहां इलाज मुहैया कराया जाएगा। यहां बिस्तरों के अलावा जांच व इलाज की तमाम सुविधाएं भी हैं।
हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग जांच की जा रही है लेकिन अभी कोई मामला आया नहीं हैं। डॉक्टरों के संगठन ने भी लोगों के लिए परामर्श जारी किया है। सीमाओं (कांफेडरेशन आॅफ मेडिकल एसोसिसएशंस इन एशिया एंड ओशियाना) के पदाधिकारी डॉ केके अग्रवाल ने कहा है कि संभव हो तो चीन की यात्रा पर जा रहे लोग यात्रा टाल दें।
सांस संबंधी परेशानियां
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, नया कोरोना वायरस (एनसीओवी) विषाणुओं की ऐसी प्रजाति से आता है जिसके कारण सामान्य सर्दी-जुकाम से लेकर सांस संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इस वायरस ने चीन में अब तक 41 लोगों की जान ले ली है। विशेषज्ञों ने बताया कि यह विषाणु नया है, इसे पहले कभी नहीं देखा गया। चीन में इससे अब तक 1300 लोग प्रभावित हो चुके हैं। यह चीन के वुहान शहर के सी-फूड व पशु बाजार से फैलना शुरू हुआ और फैलते हुए यह अमेरिका तक पहुंच चुका है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, नए कोरोना वायरस के लक्षणों में बुखार, कफ, सांस संबंधी समस्याएं शामिल हैं। एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि दिल्ली या भारत में कहीं से भी आने वाले कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों की देखभाल और इलाज के लिए हमारे यहां एक अलग वार्ड बनाया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान बीमारी किसी डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मियों को न पकड़ लें इसके लिए कई उपाय किए गए हैं। उन्होंने बताया कि सुरक्षा के लिए उपकरणों के स्टरलाइजेशन सहित सभी एहतियाती उपाय किए गए हैं। गुलेरिया ने कहा कि प्रबंधन और संक्रमण नियंत्रण सुविधा के लिए अस्पताल की तैयारियों की भी समीक्षा की गई।
नहीं है कोई इलाज, रखें ध्यान
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि लोगों को हाथ की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में सफर करने पर मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। बुखार, कफ और कमजोरी से ग्रस्त किसी भी व्यक्ति को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करना चाहिए। चूंकि यह बीमारी बिल्कुल नई है। इसके वायरस पहले कभी नहीं देखे गए थे इसलिए इस खतरनाक विषाणु से निपटने क ा फिलहाल कोई तय इलाज, एंटीबायोटिक या दवा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में जो हवाएं आमतौर से निमोनिया के इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं उन्हीं से इनका भी सहायक इलाज ही किया जाता है।

