किसानों के मुद्दे को लेकर राज्यसभा में हंगामा कर रहे आम आदमी पार्टी के तीनों सांसदों संजय सिंह, सुशील कुमार गुप्ता और एनडी गुप्ता को जबरन सदन से निकाल दिया गया। सभापति एम वेंकैया नायडू ने इससे पहले उन्हें शांत रहने की हिदायत दी थी, लेकिन इसके बाद भी तीनों सांसद वेल में आकर नारेबाजी करते रहे। वेंकैया ने कहा कि ये सदन का समय बर्बाद करके किसानों का नुकसान कर रहे हैं।

सभापति ने शून्यकाल काल के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर चर्चा शुरू करने की अनुमति दी तो संजय सिंह, सुशील कुमार गुप्ता और एनडी तिवारी अपनी सीटों पर खड़े होकर नारे लगाने लगे। उन्होंने कृषि कानूनों को रद्द करो के नारे लगाए। इस पर नायडू ने कहा कि अभिभाषण पर चर्चा के दौरान ही किसानों के मुद्दे पर बहस करने की सहमति बन चुकी है। सदन की कार्यवाही को इस तरह से बाधित करना अनुचित है। उनका कहना था कि तीनों सांसद किसानों के मुद्दे पर चर्चा करना ही नहीं चाहते हैं।

नायडू ने तीनों सांसदों से शांति बनाए रखने और सदन की कार्यवाही को बाधित न करने का अनुरोध किया, लेकिन इस पर भी तीनों सांसद नारे लगाते रहे। उन्होंने तीनों सांसदों को नियम 255 के तहत कार्यवाही की चेतावनी दी। वे नहीं माने तो सभापति ने तीनों सांसदों को सदन से बाहर जाने को कहा। लेकिन तीनों सांसद वेल में जाकर नारे लगाते रहे। इस पर सभापति ने तीनों सदस्यों को दिन भर के लिए सदन से बाहर जाने का आदेश दिया और कार्यवाही 9:40 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

सदन फिर से शुरू हुआ तो तीनों सांसद फिर से नारेबाजी करने लगे। नायडू ने उनसे बाहर जाने के लिए कहा। वे नहीं माने तो मार्शल से कहा गया कि तीनों सांसदों को उठाकर सदन से बाहर ले जाएं। इससे पहले सुबह नायडू ने सदन को बताया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद चर्चा का समय बढ़ाकर 15 घंटे कर दिया गया है। इसमें किसानों के मुद्दे पर पर भी चर्चा की जाएगी।

नियम 255 के तहत सभापति को अधिकार है कि वह किसी भी सांसद को दिन भर के लिए सदन से बाहर कर दे। यह उस स्थित में प्रभावी माना जाता है जब कोई सदस्य सदन की मर्यादा का उल्लंघन करे। अगर सभापति को लगता है कि उसका बर्ताव ठीक नहीं है।

निलंबन के बाद संजय सिंह ने कहा कि सदन से उन तीनों को एक दिन के लिए सस्पेंड किया गया है लेकिन इससे फर्क नहीं पड़ने वाला है। वह किसानों के हक में आवाज उठाते रहेंगे। मोदी सरकार ने बॉर्डर पर जिसस तरह से कीलबंदी की है उससे लगता है कि जैसे चीन-पाकिस्तान का बॉर्डर तैयार किया हो। उनका कहना था कि किसानों के साथ जिस तरह से बर्ताव किया जा रहा है, उससे लगता है कि वे दुश्मन देश के नागरिक हैं।