Sailee Dhayalkar, Sadaf Modak

सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में शुक्रवार (21 दिसंबर, 2018) को सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई के बाद शेख के छोटे भाई रुबाबुद्दीन शेख ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। सुनवाई के दौरान परिवार की तरफ से अकेले मौजूद रुबाबुद्दीन ने कहा कि अगर उनके भाई की हत्या के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है तो उन्हें इस निष्कर्ष पर पहुंचना होगा कि सोहराबुद्दीन ने खुद अपनी जान ले ली। उन्होंने कहा कि जब बोम्बे हाई कोर्ट ने छह आरोपियों को बरी कर दिया था तभी वह अपनी उम्मीद खो चुके थे। रुबाबुद्दीन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 में इस मामले की जांच की थी किया सोहराबुद्दीन एनकाउंटर असली था। इस साल सितंबर में हाई कोर्ट ने रुबाबुद्दीन की उस अपील को खारिज कर दिया था जिसमें ट्रायल कोर्ट ने आईपीएस अधिकारियों को रिहा कर दिया। इसमें डीजी वंजारा, राजकुमार पांडियन और दिनेश एमएन शामिल थे।

रुबाबुद्दीन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘आरोपियों के खिलाफ बहुत से सबूत थे। मगर मालूम होता है कि कोर्ट ने इस तरफ से अपनी आंखे मूंद लीं। यह फैसला सही नहीं है। यह इंसाफ के हक में नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘कोर्ट ने मेरे द्वारा पेश किए सबूतों को नहीं माना। ऐसा लगता है कि मेरे भाई ने खुद अपनी जान ले ली। हाई कोर्ट ने सितंबर में जब छह पुलिसकर्मियों के डिस्चार्ज कर दिया तब मैंने उम्मीद खो दी। तब स्पष्ट था कि ट्रायल कोर्ट से पहले आरोपियों को भी बरी कर दिया जाएगा।’

रुबाबुद्दीन ने कहा कि ना तो सीबीआई ने रिहा हुए अधिकांश आरोपियों के खिलाफ अपील की और ना ही हाई कोर्ट के समक्ष उनकी अपील का समर्थन किया। रुबाबुद्दीन ने दावा किया जब उन्हें इस बात की जानकारी मिली की सोहराबुद्दीन मुठभेड़ वास्तविक नहीं थी तब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अपील की। रुबाबुद्दीन 17 नवंबर को अभियोजन पक्ष की तरफ से कोर्ट में गवाह के रूप में उपस्थित हुए थे।

वह कहते हैं, ‘इंसाफ की यह यात्रा बिल्कुल आसान नहीं थी। हमने साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट से मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए खूब कोशिश की थी। हालांकि यह बहुत दुखद दिन है, हमें इंसाफ नहीं मिला, लेकिन मैं देश की सबसे बड़ी अदालत तक अपील करुंगा।’ रुबाबुद्दीन के अलावा उनके दो अन्य आई नयामुद्दीन शेख और शहानवाजुद्दीन शेख भी अभियोजन पक्ष की तरफ से गवाह के रूप में उपस्थित थे।

बता दें कि सोहराबुद्दीन शेख, तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ और कौसर बी दुष्कर्म व सनसनीखेज हत्या मामले में, 12 साल बाद सीबीआई की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि पेश किए गए ‘गवाह और सबूत संतोषजनक नहीं थे।’ विशेष अदालत के न्यायाधीश एस.जे. शर्मा ने कहा, ‘2005 के मुठभेड़ मामलों में साजिश और हत्या का जुर्म साबित करने के लिए पेश सबूत और गवाह संतोषजनक नहीं है।’