चक्रवात ताउते से लड़कर जान बचाने वाले सैम वर्गीज ने आपबीती बताई। वह भी पी 305 पर मौजूद थे। इसमें सवार 50 लोगों की मौत हो गई थी। अब भी 15 लोग लापता हैं।

सैम ने कुछ इस तरह अपनी कहानी बयां की-
16 मई की रात सामान्य थी। हमने डिनर कर लिया था। अब डेक पर जाने का जी कर रहा था लेकिन बाहर हवा बहुत तेज़ थी। ताउते तूफान की चेतावनी हमें मिली थी लेकिन बार्ज पी 305 पर हर आदमी किनारे पहुंचने के प्रति निश्चिंत था। नाव का आकार बहुत बड़ा था और उसके आठ बड़े-बड़े मजबूत लंगर भी थे।

मौसम वालों ने पहले नौ मीटर लहरों की बात कही थी, फिर लहरों की ऊंचाई 9 मीटर और फिर 12-14 मीटर तक जा पहुंची। अचानक बार्ज हिलने लगा। अल्मारियों में रखी चीजें लुढ़कने लगी। इसी बीच डेक से टूटने-फूटने की आवाजें भी आने लगीं। हमें चक्रवाती हवाएं महसूस हो रही थीं।

हमने इस सब बातों को इग्नोर किया और थोड़ी नींद मारने के लिए अपने केबिन्स में चले गए। बमुश्किल दो या तीन घंटे बीते होंगे कि नींद खुल गई। हमें ज़ोर-ज़ोर से निर्देश दिए जा रहे थे…सब लोग लाइफ जैकेट पहन लें और तैयार रहें। अब भी हमें लग रहा है कि यह महज़ एहतियात के तौर पर हो रहा है। तो भी हमने ओवरऑल पहन लिए और अपने फोन, पर्स, पासपोर्ट लेकर हम ऑफिस को चल दिए। हमने भारी-भरकम सेफ्टी शूज़ नहीं पहने थे। ऑफिस पहुंचते ही झटका लगा। खबर थी कि आठ में से छह लंगर टूट चुके हैं। इसीलिए बार्ज इतना हिल-डुल रहा था।

हमारी सबसे बड़ी चिंता फिलहाल यह थी कि बार्ज हिलने-डुलने-बहकते कहीं आयल रिग के प्लेटफॉर्म से न टकरा जाए। टकराने का मतलब होगा भीषण विस्फोट क्योंकि प्लेटफॉर्म पर बहुत सारी गैस और तेल की लाइनें होती हैं। टक्कर होती तो बार्ज की चिंदियां बिखर जातीं। तभी बार्ज के दो अंतिम लंगर भी टूट गए। अब इसे संभालने वाला कोई सहारा न था। बार्ज और भी जोर जोर से हिलने लगा। वह अनियंत्रित हो कर प्लेटफॉर्म की तरफ बहने लगा। हम भारतीय नौ सेना और अपने हेडक्वार्टर को फोन, रेडियो और वॉट्सैप पर त्राहिमाम संदेश देने में जुट गए।

उधर, दैत्याकार लहरों ने बेलंगर हो चुके जहाज को उसी ऑयल रिग के प्लेटफॉर्म पर ले जाकर जाकर पटक दिया जहां से हम बचना चाहते थे। लेकिन, सौभाग्य से कोई विस्फोट नहीं हुआ क्योंकि टक्कर जहां हुई थी वहां कोई पाइप लाइन नहीं थी। लेकिन एक दूसरा भारी भरकम नुकसान हो चुका था। बार्ज के पेंदे में इस टक्कर से एक बड़ा छेद हो गया था।

बार्ज में तेजी से पानी भर रहा था। तली पर ड्यूटी कर रहे लोग पानी निकालने के लिए मदद का शोर मचा रहे थे। अब ज्यादा विकल्प नहीं बचे थे। हम देख रहे थे कि बार्ज धीमे-धीमे पानी में समा रहा है। तुरंत रबड़ के राफ्ट निकाले गए। कुल 24 थे। लेकिन एक को छोड़ किसी को फुलाया न जा सका। सब पंक्चर निकले। सही राफ्ट पर एकदम से दस लोग बैठ गए लेकिन नीचे जाते ही वह बार्ज की तली से चिपके बार्नकल्स (शंख जैसे नुकीले जीवधारियों की कॉलनी) से टकराकर फट गया। देखते ही देखते उस पर बैठे दस लोग नजरों से ओझल हो गए।

अब हमारे पास कोई राफ्ट नहीं था। हम नौसेना के जहाज का इंतजार करने लगे। जहाज सिर्फ दो या तीन मील दूर था। इस बीच बारिश तेज हो गई। विज़िबिलिटी बहुत कम रह गई। शिप ने संदेश दिया कि अभी इंतजार करो। उन हालात में शिप को बार्ज के पास लाने का मतलब था टक्कर की आशंका।

इस तमाम इंतजार के बीच बार्ज पानी में और ज्यादा रफ्तार के साथ अंदर धंसता चला जा रहा था। जब आधा जहाज डूब गया हमने उससे निकल कर पानी में कूदने का फैसला किया। लाइफजैकेट पहन कर हम एक-एक कर समुद्र में कूदने लगे। उस हालत में कूदना आसान न था। कुछ लोग कूदे तो मैंने देखा उनके ऊपर कोई चीज भी आ गिरी। बहरहाल, जब मेरा और मेरी टीम का नंबर आया तो मैं तो ऊंचाई से कूदने से ही डर गया। आखिरकार मैं कूदा। मैं कूदने वाला आखिरी आदमी था।

पानी छूते ही मैंने देखा कि कुछ दूर पर लोगों का समूह तैर रहा है। मैं उसी ग्रुप की तरफ तैर गया। हर आदमी दूसरे से पूछ रहा था आर यू ओके…आर यू ओके। ढाढस बंधा रहे थे कि नैवी का शिप आ ही गया है। हम सब पास पास थे ताकि नेवी को रेस्क्यू करना आसान रहे। हमारी लाइफजैकेट में लाइट्स का इंतजाम भी था।

खारे और कठिन समुद्र में उतराते शाम के साढ़े छह बज चुके थे। हमने नजर दौड़ाई। नेवी के शिप का नामो निशान नहीं था। नमकीन पानी से आंखों में जलन हो रही थी। लहरें इतनी ताकतवर थीं कि कभी वे हमको हवा में उछाल देतीं तो कभी पानी में अंदर खींच ले जाती। कोई चाहे कितना भी अनुभवी हो थोड़ी देर बाद खारा पानी गला चोक करने लगता है। भयंकर खांसी भी उठने लगती है। तिस पर हमारे साथ पानी में कूदे अनेक लोग तो तैरना जानते ही नहीं थे। ये लोग पैनिक कर रहे थे। जोरजोर से हाथपांव चला रहे थे। खुद को थकाए दे रहे थे।

हमारे समूह में 15-16 लोग थे। लहरें हमको बार-बार अलग-थलग कर देतीं लेकिन हम वापस पासपास आ जाते। हम लोग बस एक दूसरे की तरफ तैरने में लगे थे। थोड़ी देर में हमारे समूह जैसे और समूह भी दिखाई दिए। सब पास पास आ गए और समूह काफी बड़ा हो गया।

समुद्र में उतरने के तीन घंटे बाद हमे नेवी का शिप आखिरकार दिखाई दिया। हम सब उसी की तरफ तैरने लगे। लेकिन जैसे ही हम उसके पास पहुंचे, भारी बारिश शुरू हो गई। समुद्र में लहरें फिर विकराल हो गईं। हम भयाक्रांत हो उठे। अंधेरे में कुछ दिखाई दे नहीं रहा था और लहरे बहुत ऊंची-ऊंची। नेवी को हमे बचाना आसान नहीं था। हमारे भयभीत गले से चीख निकलने लगी। कुछ लोग भगवान से प्राण रक्षा के लिए प्रार्थना कर रहे थे। कुछ एक बार अपनी मां से मिलने की इच्छा जता रहे थे।

मैंने नमकीन पानी की जलन से बचने के लिए आंखें बंद कर लीं। जब मैंने आंख खोली आधी रात को 12 बजे थे। मैंने नजर दौड़ाई। ग्रुप में केवल छह लोग दिख रहे थे। मैंने और ध्यान से देखा। नेवी का शिप खड़ा था। नौसैनिक हमे बचाने में लगे थे। जैसे ही वे हमारी तरफ रोप-लैडर (रस्सी की बनी सीढ़ी फेंकते), उस पर एक साथ कई लोग झपट पड़ते। पहले हम की भावना के साथ वे एक-दूसरे को धकियाने लगते।

सीढ़ी पकड़ने की आपाधापी में मेरे से आगे वाला आदमी फिसला और गिरते-गिरते उसने मुझे जोर की किक मार दी। पानी में गिरते ही मेरी नजर एक हवा भरे ब्वाय (ट्यूब) पर पड़ी। मैंने सोचा कि उस पर रस्सी बंधी होगी। मैं तुंरत ट्यूब पर कूदा और नौसैनिकों से खींचने का इशारा करने लगा। लेकिन तभी अचानक एक तेज लहर आई और उसने मुझे देखते ही देखते कई मील दूर ले जाकर छोड़ दिया। इतनी दूर कि शिप कहीं दिखाई ही नहीं दे रहा था।

ऊंची लहरों के बीच अनंत समुद्र में मैं उस समय बिलकुल अकेला था। चारो तरफ सिर्फ अंधेरा था। धीमे-धीमें मेरी लाइफजैकेट में रोशनी के लिए लगी बैटरी भी खत्म हो चुकी थी। अब कोई मुझे भी नहीं देख सकता था। मुझे लगा, मैं अब बच नहीं पाऊंगा। ये लहरें शायद मुझे चक्रवात के केंद्र की ओर खींच रही है। लेकिन, हिम्मत एक बार फिर जागी। मैं तैरने लगा। लेकिन दिमाग में चल रहा था कि डूबने के बाद मेरा शरीर कहां मिलेगा…ओमान में या कहीं गुजरात में! दिमाग पर मौत का भय तारी था… डूब के मरूंगा या थक कर या भूख से..।

इन ख्यालों के बीच मैं जब सोने का प्रयास कर रहा था तो मेरे चेहरे से एक खासी मोटी लहर टकराई। मैंने आंख खोली। लहर मुझे अपने साथ बहा रही थी। उजाला हो चुका था। करीब आधा मिनट के बाद लहर थमी तो सामने नेवी का शिप खड़ा था। मैं पूरी ताकत से उसकी ओर तैरने लगा। पर मेरे पास तो विसिल थी। मैंने जोर से बजाई। शिप ने जवाब में साइरन बजाकर बताया कि मुझे देख लिया गया है। वह मेरे पास आया। मुझे पानी में पड़ी सीढ़ी बताई गई। लेकिन मैं इतना थक चुका था कि वहां तक नहीं पहुंच सकता था।

अंततः मुझे खींच लिया गया। लेकिन, शिप पर पहुंचने के बाद एक बड़ी ट्रैजडी मेरा इंतजार कर रही थी। वहां मेरे कई साथियों के मृत शरीर पड़े थे। मुझे उन्हें पहचानने का काम दे दिया गया। यह बहुत दर्दनाक था। ये साथी साथ में ही कूदे थे लेकिन बच न पाए। इस बीच हममें से जो लोग बचे थे एक दूसरे के गले लगा कर रो रहे थे।