भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध करने वाले पहलवानों के मुद्दे पर हरियाणा भाजपा ने काफी हद तक चुप्पी साध रखी है। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह जंतर-मंतर पर पहलवानों से मिलने गए थे और उन्होंने भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में 2014-19 की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रहे पूर्व कांग्रेस नेता बीरेंद्र सिंह ने बृजभूषण के खिलाफ पुलिस जांच की धीमी गति पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह जानबूझकर है।
सरकार देरी करना चाहती है- बीरेंद्र सिंह
हरियाणा में खाप पंचायत की एक बैठक ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को 9 जून तक बृजभूषण को गिरफ्तार करने का अल्टीमेटम दिया। इस पर आगे क्या होगा, इस सवाल के जवाब में बीरेंद्र सिंह ने कहा कि दरअसल, सरकार चीजों को धीमा करना चाहते हैं, इसमें देरी करना चाहते हैं। यही वजह है कि पुलिस भी साफ दिखा रही है कि वह जल्दबाजी में ऐसा नहीं करना चाहती। दूसरी ओर, किसान यूनियन के नेता आंदोलन को फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। हकीकत में दोनों पक्ष कहीं नहीं पहुंच रहे हैं।
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि आंदोलनकारियों का कहना है कि या तो आप बृजभूषण को गिरफ्तार करें या सबसे बुरे के लिए तैयार रहें। वहीं, दूसरा पक्ष (सरकार) चीजों में देरी कर रहा है ताकि ये अपने आप ठीक हो जाएं। हो सकता है कि सरकार को लगता हो कि अगर मामले को खींचा गया तो शायद ज्यादा असर न हो।
बृजभूषण को हटने में दिलचस्पी नहीं- पूर्व केंद्रीय मंत्री
बृजभूषण सिंह के खिलाफ गंभीर आरोपों वाली FIR पर कार्रवाई के सवाल पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “देखिए, पार्टी न कुछ कहने वाली है और न ही बृजभूषण को हटने में दिलचस्पी है। बल्कि वह इसका इस्तेमाल देश के उस हिस्से में अपने लिए प्रसिद्धि पाने के लिए कर रहा है, जहां उसका कुछ प्रभाव है। वह साफ जानता है कि अगर वह इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बोलता रहेगा तो उसे कम से कम अपने समुदाय की सहानुभूति मिल सकती है।
क्या यह मुद्दा 2024 में हरियाणा में भाजपा को प्रभावित करेगा? इस सवाल के जवाब में बीरेंद्र सिंह ने कहा, “मैं अपने पार्टी प्रमुख से दो बार मिला। दोनों बार मैंने उनसे कहा कि पार्टी को इसे एक राज्य के पहलवानों से जुड़ा मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। यह गंभीर चिंता का विषय है और पार्टी की साख दांव पर है। मैंने जेपी नड्डा से हस्तक्षेप करने, खेल मंत्रालय से बात करने या जो भी इस मुद्दे को जल्द से जल्द शांतिपूर्ण तरीके से हल कर सकता है, उससे बात करने का अनुरोध किया।”
पहलवानों की आवाज सुनी जानी चाहिए
भाजपा नेता आगे बोले, “मैंने कहा कि हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो हमें इस पर काम करना चाहिए। मैंने पार्टी अध्यक्ष से यह भी कहा कि भले ही यह मान लिया जाए कि पहलवान किसी राजनीतिक दल के इशारे पर काम कर रहे हैं या किसी के द्वारा उकसाया गया है, उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए। वे एक ऐसा मुद्दा उठा रहे हैं जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। लेकिन, जाहिर तौर पर पार्टी इस चीज के साथ समाज के कुछ तबके का पूरा समर्थन चाहते हैं, किसी खास क्षेत्र में।”
सरकार को खेल संघों पर फिर से विचार करना चाहिए
‘क्या आपको लगता है कि यह समय इस बात पर पुनर्विचार करने का है कि खेल निकाय कैसे काम करते हैं और नियंत्रित होते हैं?’ इस सवाल के जवाब में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “यह मेरी प्रमुख चिंता है। मुझे हमारे देश में खेल निकायों का इतिहास और पृष्ठभूमि पता है और वे कैसे काम करते हैं। सरकार को इन खेल संघों पर फिर से विचार करना चाहिए। हमारे संघ निर्वाचित निकाय हैं लेकिन अगर कोई केंद्रीय स्तर पर किसी महासंघ को अपने हाथ में लेता है, तो वह यह ध्यान रखता है कि प्रत्येक राज्य का प्रतिनिधित्व उसकी पसंद के लोगों द्वारा किया जाए। उसे निर्वाचित निकाय नहीं कहा जा सकता।”
उन्होंने कहा कि समस्या राजनेताओं, विशेष रूप से सत्ता में बैठे लोगों के साथ-साथ उद्योगपतियों और ऐसे संघों को चलाने वाले नौकरशाहों के साथ है। सरकार को खेल संघों को चलाने के तरीके में सुधार करना चाहिए।
