बंगाल की खाड़ी में लापता हुए भारतीय वायुसेना के एक मालवाहक विमान की आठ साल तक लंबी तलाश के बाद उसका मलबा समुद्र में मिला है। यह मलबा चेन्नई तट से करीब 310 किलोमीटर की दूरी पर पाया गया है। यह विमान 22 जुलाई, 2016 को चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर जाते वक्त बंगाल की खाड़ी में गायब हो गया था। इसमें 29 सैन्यकर्मी सवार थे। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी एक बयान में बताया कि वायुसेना के मालवाहक विमान एंटोनोव, एएन-32 (पंजीकरण के-2743) का मलबा मिल गया है।
विमान में चालक दल के छह सदस्यों सहित कुल 29 सैन्यकर्मी सवार थे
हादसे के वक्त इस विमान ने चेन्नई के तांबरम वायुसेना के अड्डे से सुबह करीब साढ़े आठ बजे पोर्ट ब्लेयर (अंडमान-निकोबार द्वीप समूह) के लिए उड़ान भरी थी। इसे साढ़े ग्यारह बजे पोर्ट ब्लेयर में उतरना था। मगर, उड़ान भरने के तुरंत बाद विमान का रडार से संपर्क टूट गया। जब वह अपने निर्धारित समय पर पोर्ट ब्लेयर में नहीं उतरा तो उसके बाद वायुसेना ने इसकी तलाश शुरू कर दी। घटना के दौरान विमान में चालक दल के छह सदस्यों सहित कुल 29 सैन्यकर्मी (चार अधिकारी और 25 अन्य सैन्यकर्मी) सवार थे।
अन्य सैन्यकर्मियों में 11 वायुसेना, 9 नौसेना, दो सेना और एक-एक नौसेना व तटरक्षकबल से थे। प्राप्त जानकारी के हिसाब से इस विमान के पायलट ने उड़ान भरने के करीब सोलह मिनट बाद तांबरम के हवाई यातायात नियंत्रक (ATC) को दी गई अंतिम काल में सब कुछ सामान्य होने की बात कही थी। विमान का एटीसी से अंतिम संपर्क सुबह करीब सवा नौ बजे हुआ था।
खोज अभियान में वायुसेना, नौसेना और तटरक्षक बल के युद्धक बेड़े शामिल रहे
वायुसेना ने वर्ष 2016 में इस विमान के लापता होने की घटना के तुरंत बाद तलाशी अभियान शुरू कर दिया था। यह अपने आप में किसी लापता विमान की तलाश के लिए भारत में की गई एक बेहद व्यापक जांच थी। इस अभियान में वायुसेना, नौसेना और तटरक्षक बल के युद्धक बेड़े में शामिल तमाम शस्त्र सामग्री का इस्तेमाल किया गया। इनमें समुद्री गश्ती विमान, पनडुब्बी, गोताखोर (मार्काेस), 11 जंगी युद्धपोत, रडार, सोनार तंत्र और हेलिकाप्टर शामिल थे।
इसरो की भी मदद ली गई
तलाशी अभियान में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एवं विकास संगठन (इसरो) के उपग्रह की भी मदद ली गई। इतना ही नहीं वायुसेना ने अपने लापता विमान का पता लगाने के लिए अमेरिका से भी मदद देने का अनुरोध किया था। मगर, बाद में जांच के निष्कर्षों में यह कहा गया कि विमान में सवार सभी 29 कर्मियों को मृत मान लिया जाए।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, लापता विमान के मलबे की खोज में राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NOTI) की भी अहम भूमिका रही। इसी संस्थान ने बंगाल की खाड़ी में विमान की अंतिम मौजूदगी वाली जगह पर हाल ही में समुद्र में पानी के अंदर करीब 3.4 किलोमीटर (3,400 मीटर) की गहराई पर जांच-पड़ताल के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक उपकरण ‘आटोनामस अंडरवाटर व्हीकलह (AUV)’ तैनात किया था।
इसके अलावा संस्थान ने मल्टी-बीम सोनार (साउंड नेविगेशन एंड रेंजिंग), सिंथेटिक एपर्चर सोनार और हाई रिजाल्यूशन फोटोग्राफी सहित कई अन्य प्रकार की खोज सामग्री का भी उपयोग किया गया। इसमें कुछ तस्वीरें एकत्रित की गईं। जिनका विश्लेषण करने पर यह पता चला कि ये तस्वीरें चेन्नई तट से दूर समुद्र तल पर एक दुर्घटनाग्रस्त विमान के मलबे की हैं।