World Resources Institute Study: वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट की एक नई स्टडी में कहा गया है कि अगर तीन अहम मापदंडो को अपना लिया जाता है तो भारत के ट्रांसपोर्ट सेक्टर से कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को 2050 तक 71 फीसदी तक कम किया जा सकता है। इनमें इलेक्ट्रिफिकेशन, फ्यूल इकोनॉमी और परिवहन के सही साधनों का इस्तेमाल शामिल है।
अध्ययन में कहा गया है कि भारत के ट्रांसपोर्ट सेक्टर ने 2020 में कुल एनर्जी से संबंधित CO2 उत्सर्जन में 14 फीसदी की हिस्सेदारी निभाई है। इस सेक्टर में उत्सर्जन कम करने के लिए रोडमैप और सटीक टारगेट की सख्त जरूरत है। इसमें कहा गया कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर में उत्सर्जन कटौती के टारगेट का पालन करना 2070 तक इंडिया नेट जीरो टारगेट के लिए भी जरूरी है।
इन रणनीतियों पर करना होगा काम
इस स्टडी का रिजल्ट एनर्जी पॉलिसी सिम्युलेटर पर है। अध्ययन में कहा कि फ्यूल इकोनॉमी, इलेक्ट्रिफिकेशन और मोडल शिफ्ट रणनीतियों को एक साथ लागू करने से बीएयू के मुकाबले 2050 तक सीओ 2 उत्सर्जन और फोसिल फ्यूल की खपत में 71 फीसदी की कमी आएगी। डब्ल्यूआरआई इंडिया के एसोसिएट प्रोग्राम डायरेक्टर सुब्रत चक्रवर्ती ने कहा कि भारत के ट्रांसपोर्ट सेक्टर को कार्बन फ्री बनाने का टारगेट कम पैसों वाली नीतियों को लागू करने हासिल किया जा सकता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ रही बिक्री
चक्रवर्ती ने कहा कि सिम्युलेशन से पता चलता है कि माल और यात्री दोनों सेक्टरों के लिए लो कार्बन ट्रांसपोर्ट सबसे ज्यादा लागत वाली पॉलिसी हैं। इससे tCO2 पर 12,118 रुपये की संभावित बचत होगी। इलेक्ट्रिक वाहनों की ज्यादा बिक्री बढ़ाने का टारगेट CO2 उत्सर्जन में कमी लाने का एक सबसे मजबूत तरीका है। अध्ययन में कहा गया कि बिजली उत्पादन का डीकॉर्बोनाइजेशन ट्रांसपोर्ट सेक्टर में इलेक्ट्रिफिकेशन टारगेटों को पूरा कर सकता है।
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इस अध्ययन में यह भी कहा गया कि कार्बन फ्री बिजली के साथ एक अलग पॉलिसी लागू करने से बीएयू के मुकाबले 2050 तक 75 फीसदी की कमी आएगी। हालांकि, स्टडी में यह भी कहा गया है कि अगर बीएयू को फॉलो किया जाए तो देश का ट्रांसपोर्ट सेक्टर 2050 तक फोसिल फ्यूल पर निर्भर रहेगा। इसमें यह भी कहा गया है कि अगले तीन दशकों में एलपीजी, डीजल और पेट्रोल जैसे जीवाश्म ईंधन की खपत चार गुनी होने की उम्मीद है। यह खपत के हिसाब से बढ़ती है। इसके 2020 और 2050 के बीच तीन गुना बढ़ने का भी अनुमान है।
ट्रांसपोर्ट सेक्टर से 14 फीसदी कार्बन उत्सर्जित
2020 में एनर्जी से संबंधित CO2 उत्सर्जन में ट्रांसपोर्ट सेक्टर की 14 फीसदी हिस्सेदारी थी। इसमें 90 फीसदी सड़क परिवहन से आता है। यह सबसे ज्यादा कार्बन पैदा करने का सोर्स बना हुआ है। इस 90 फीसदी में टू व्हीलर ने लगभग 16 फीसदी, कारों का 25 फीसदी, बसों का 9 फीसदी एलडीवी वाहनों का 8 फीसदी और एचडीवी का 45 फीसदी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी निभाई है।