जलवायु परिवर्तन पर अहम पेरिस सम्मेलन में भारत को एक चुनौती बताए जाने संबंधी अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी की प्रतिकूल टिप्पणियों को लेकर भारत ने रविवार को उन्हें आड़े हाथ लिया और टिप्पणियों को अवांछित बताने के साथ ही स्पष्ट किया कि उसकी किसी के दबाव में आने की आदत नहीं है।
कैरी की टिप्पणियों को अवांछित और अनुचित बताते हुए भारत ने जलवायु परिवर्तन की समस्या के लिए कुछ विकसित देशों के रवैए को जिम्मेदार ठहराया। भारत के उठाए गए मुद्दों में से किसी भी मुद्दे पर समझौता करने या कोई समायोजन नहीं करने का संकेत देते हुए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि वह हमेशा सर्वसम्मति के पक्ष में रहा है और सक्रियता के साथ देशों के बीच सर्वसम्मति बनाने के प्रयास कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘एक तरह से यह कहना गलत है कि भारत एक चुनौती होगा। दरअसल इससे भारत के साथ न्याय नहीं हो रहा है। अमेरिका हमारा बड़ा मित्र और सामरिक भागीदार है। कैरी की टिप्पणियां अवांछित और अनुचित हैं। कुछ विकसित देशों का रवैया पेरिस समझौते के लिए चुनौती है’। कैरी ने एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बिजनेस दैनिक को दिए साक्षात्कार में चेतावनी दी थी कि आगामी पेरिस सम्मेलन में भारत एक ‘चुनौती’ बन सकता है क्योंकि उसकी सरकार जलवायु परिवर्तन के समाधान में भूमिका स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उनके हवाले से दैनिक ने लिखा था, ‘हम भारत पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और उन्हें साथ लाने को प्रयासरत हैं। नए परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करने में वह हिचक रहा है और यह एक चुनौती है’।
जावड़ेकर ने कहा, ‘हालांकि विकसित देशों की ओर से भारत पर कोई दबाव नहीं है। लेकिन देश की भी किसी के दबाव को स्वीकार करने की आदत नहीं है’। पेरिस जलवायु सम्मेलन 30 नवंबर से 11 दिसंबर तक चलेगा जिसका मकसद वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे बनाए रखने के मकसद के साथ जलवायु पर एक वैश्विक और कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते को हासिल करना है।
जावड़ेकर ने कहा, ‘जब आप एक वैश्विक व्यवस्था कर रहे हैं तो हर देश अपने मुद्दे को सामने रखेगा। हमें सर्वसम्मति से आगे बढ़ना होगा। भारत हमेशा सर्वसम्मति के पक्ष में रहा है। हम सक्रियता के साथ सर्वसम्मति बनाने में मदद कर रहे हैं। हम ना कहने वालों में नहीं हैं बल्कि सर्वसम्मति में मदद कर रहे हैं। यह समझौता करने के बारे में नहीं है’।
उन्होंने कहा, ‘हर देश ने अपना राष्ट्रीय स्तर पर इच्छित निर्धारित अंशदान दिया है और हम साफ-साफ बात करेंगे। समझौते का मुद्दा कहां है। हमने वित्त, तकनीक और अन्य मुद्दे उठाए हैं’। जावड़ेकर ने कहा, ‘लेकिन हमारा दृढ़ मत है कि पेरिस सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन ढांचागत समझौते (यूएनएफसीसीसी), सीबीडीआर, ऐतिहासिक जिम्मेदारी, प्रदूषक के भुगतान करने और इक्विटी जैसे इसके सभी सिद्धांतों के तहत होगा। इन सभी को नए पेरिस समझौते में शामिल किया गया है।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि भारत सकारात्मक और सक्रिय बना हुआ है और पेरिस में एक उचित और समान समझौते की उम्मीद करता है जो वक्त की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘हमें विश्व समुदाय के तौर पर दुनियाभर के सात अरब लोगों को यह भरोसा दिलाना चाहिए कि दुनिया ने सही रास्ते पर चलना शुरू कर दिया है । इसने आईएनडीसी की घोषणा की है । नयी यात्रा की शुरूआत हो चुकी है । यह जलवायु चुनौती का मुकाबला करेगी। पेरिस बैठक के नतीजे के रूप में यह आश्वासन सामने आना चाहिए और हम अंत तक इसे हासिल करने के लिए काम करते रहेंगे’।
आइएनडीसी को देशों की जलवायु कार्य योजना के रूप में भी जाना जाता है और भारत ने आइएनडीसी में अपने ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को 2005 के स्तर से 35 फीसद कम करने की प्रतिबद्धता जताई है। आइएनडीसी के तहत भारत ने एलान किया है कि वह 2030 तक गैर जीवाश्म र्इंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से करीब 40 फीसद संचयी इलेक्ट्रिक ऊर्जा क्षमता को हासिल करेगा।
पेरिस सम्मेलन में विश्व समुदाय के भारत को एक अहम खिलाड़ी के रूप में मान्यता दिए जाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को देते हुए जावड़ेकर ने कहा, ‘भारत को यह नई मान्यता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के कारण मिली है जो इस मुद्दे को लेकर संवेदनशील हैं। अल गोर (तत्कालीन अमेरिकी उपराष्ट्रपति) ने असहज सच्चाई पेश की थी, नरेंद्र मोदी सरल रास्ता पेश करेंगे। उनके पास जलवायु न्याय, जीवनशैली मुद्दे और सौर संयोजन जैसे नए विचार हैं’।
उन्होंने कहा, ‘सभी विचारों को दुनिया ने सकारात्मक रूप से लिया है, कुछ ने खुशी से, कुछ ने नाखुशी से, लेकिन उन्होंने इनको समझा है। भारत को अब सम्मान के साथ देखा जाने लगा है। जिस तरीके से मोदी ने दुनिया का दौरा किया है और जिस तरह से लोग उनके लिए उमड़ रहे हैं, उस सब का प्रभाव हुआ है’।
