कई निम्न आय और मध्यम आय वर्ग के देशों को और उनकी आबादी की मदद करने की जिम्मेदारी विश्व बैंक के पास है, लेकिन इन देशों का ऋण संकट गहराता जा रहा है और जलवायु परिवर्तन की गंभीरता के बढ़ने के साथ उसके दुष्परिणाम का नुकसान भी बढ़ता जा रहा है।

अर्थशास्त्री निकोलस स्टर्न और वरा सोंगवी नीत एक आयोग ने हाल में त्वरित और स्थायी निवेश को गति देने की अपील की थी, ताकि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में कदम बढ़ाने, संयुक्त राष्ट्र के स्थायी विकास लक्ष्य और अति संवेदनशील देशों की बढ़ती जरूरतों को प्राथमिकता दी जा सके। विश्व बैंक के नए नामित प्रमुख अजयबंगा को कारपोरेट संस्कृति विरासत में मिली है, जबकि विश्व बैंक समूह आंतरिक रूप से बहुत केंद्रित है और प्रतिक्रिया देने में बहुत धीमा है।

जानकारों के मुताबिक, चार अहम मुद्दे हैं, जिनपर बंगा को पहले दिन से ही महारत हासिल करनी होगी। पहला, सीईओ की तरह कार्य करना और पूरे विश्व बैंक समूह को व्यवस्थित करना। विश्व बैंक समूह के तहत चार बैलेंस शीट, तीन सांस्कृतिक और चार कार्यकारी बोर्ड काम करते हैं। इनके अलावा विवाद समाधान इकाई है।

बंगा के लिए आवश्यक है कि वह विश्व बैंक समूह के प्रत्येक हिस्से के लिए स्पष्ट लक्ष्य तय करें और उनके साथ इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रभावी तरीके से काम करें। दूसरा, ऋण और जलवायु संकट से निपटने के लिए बतौर अध्यक्ष सहयोगी की भूमिका निभाएं। विश्व बैंक समूह के कई उपभोक्ता देश कर्ज और जलवायु परिवर्तन से बढ़ते नुकसान- दोनों तरह के संकट का सामना कर रहे हैं।

कर्ज पर उच्च ब्याज से विकासशील देशों की अवसंरचना पर निवेश करने और अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है और उनके विश्व व्यापार में पीछे जाने का भय रहता है, क्योंकि अमेरिका द्वारा मुद्रस्फीति कटौती अधिनियम के तहत दी जाने वाली हरित सब्सिडी और यूरोपीय देशों द्वारा सीमा कार्बन कर की वजह से उनके लिए प्रतिस्पर्धा में बने रहना और मुश्किल हो जाता है। इस तरह की समस्या का समाधान किसी एक संस्थान द्वारा नहीं किया जा सकता है।

हालांकि, मौजूदा बहुपक्षीय विकास बैंक प्रणाली जैसे विश्व बैंक समूह और क्षेत्रीय विकास बैंक प्रतिस्पर्धा से अलग रहकर सहयोगी की भूमिका निभा सकते हैं। तीसरे, संयोजक की भूमिका निभाएं। अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव के लिए विकास बैंकों, केंद्रीय बैंकों, नियामकों, निवेश बैंकों, पेंशन फंड, बीमा कंपनियों और निजी हिस्सेदारों को सभी को शामिल करने की जरूरत होगी।

बंगा और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जार्जीवा संस्थागत अंतर को दूर कर निजी निवेशकों और दुनिया के विकासशील देशों को ऋण देने के मामले में सबसे बड़े देश के रूप में उभरे चीन सहित प्रमुख अग्रणी देशों के सामने समन्वय की तस्वीर पेश कर सकते हैं। चौथे, सबसे कमजोर के लिए तारणहार बनें। दुनिया की सबसे कमजोर आबादी विश्व बैंक समूह की अंतिम लाभार्थी है।

जैव विविधता को क्षति, जलवायु परिवर्तन के असर जैसे सूखा, बेतहाशा गर्मी और बाढ़ का सामना करने वाले लोगों के लिए मौजूदा वित्तीय प्रणाली द्वारा की जा रही मदद अपर्याप्त है। विश्व बैंक समूह का प्रबंधन अब भी बोर्ड द्वारा अनुमोदित ऋण देने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है, न कि कर्ज के असर, सलाह और सहायता के आधार पर।

जी-20 की अपील

आलोचकों का कहना है कि विश्व बैंक संकटों से निपटने में असफल साबित हो रहा है। बंगा और विश्वबैंक को जो करना चाहिए, इस बारे में सलाहों की कोई कमी नहीं है। जी-20 ने हाल में रिपोर्ट जारी कर विश्व बैंक और अन्य बहुपक्षीय विकास बैंकों से अपील की थी कि वे कर्ज देने के नियमों में ढील दें, ताकि जरूरतमंद राष्ट्रों को अधिक राशि मुहैया कराई जा सके।