अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी इस समय भारत दौरे पर हैं। शुक्रवार को उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात भी की थी। इस मुलाकात के दौरान कई मुद्दों पर बातचीत हुई। बैठक के बाद तालिबानी मंत्री की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुल 20 पत्रकार मौजूद थे, लेकिन उनमें से कोई भी महिला नहीं थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसी खबर है कि मुत्ताकी और अफगानी दूतावास के अधिकारियों ने खुद ही महिला पत्रकारों को शामिल न करने का फैसला लिया था।
यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है और विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हो गया है। देश के पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि महिला पत्रकारों को तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूर रखा गया। मेरा निजी विचार है कि पुरुष पत्रकारों को उस प्रेस कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार कर देना चाहिए था, जब उन्हें यह पता चला कि महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया है।”
चिदंबरम के अलावा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी। एक वीडियो जारी कर उन्होंने कहा,”हमारी सरकार ने तालिबान के विदेश मंत्री को भारत में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की अनुमति कैसे दे दी, जबकि उसमें महिला पत्रकारों को बाहर रखा गया? यह कैसे संभव है कि एस. जयशंकर जैसे विदेश मंत्री ने इस पर सहमति दी? उनकी ऐसी शर्तें मानने की हिम्मत कैसे हुई? और हमारे तथाकथित पुरुष पत्रकार चुप क्यों बैठे रहे?”
वैसे यह बहुत कम ही देखने को मिलता है कि नई दिल्ली में किसी विदेशी कार्यक्रम या मीडिया मीटिंग से महिला पत्रकारों को बाहर रखा जाए। फिलहाल यह साफ नहीं हो पाया है कि क्या तालिबान ने भारतीय अधिकारियों को पहले से यह जानकारी दी थी कि मुत्ताकी के कार्यक्रम में महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किया जाएगा।
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