ऋषि कुमार शुक्ला सीबीआई के नए डायरेक्टर हैं। इस पद के लिए दौड़ में शामिल विभिन्न अधिकारियों में सीनियर महिला आईपीएस अफसर रीना मित्रा भी शामिल थीं। इस पद के लिए योग्यता संबंधित सभी मानदंडों पर वह खरी उतरती थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मध्य प्रदेश कैडर की आईपीएस अफसर रीना मित्रा का नाम उन 12 अफसरों की सूची में शामिल था, जिनके नामों पर सलेक्शन कमिटी में विचार होना था। रीना मित्रा की जड़ें पश्चिम बंगाल से जुड़ी हैं। 1983 बैच की आईपीएस रीना गृह मंत्रालय में बतौर स्पेशल सेक्रेटरी (इंटरनल सिक्युरिटी) तैनात थीं।
मित्रा का पलड़ा इसलिए भारी माना जा रहा था क्योंकि उनका रिकॉर्ड साफ सुथरा रहा। वह विवादों से दूर रहीं और वह सीबीआई के साथ बतौर सुप्रीटेंडेंट 5 साल काम भी कर चुकी थीं। हालांकि, महज एक दिन की देरी ने उन्हें इस पद की रेस से बाहर कर दिया। दरअसल, सीबीआई डायरेक्टर चुनने के लिए हुई सिलेक्शन कमिटी की बैठक टल गई और बैठक से एक दिन पहले रीना रिटायर हो गईं। रीना ने अपने अनुभवों को द टेलिग्राफ में छपे एक आर्टिकल में बयां किया है।
35 साल की सर्विस के बाद रिटायर हुईं रीना ने खुद को बेहद सौभाग्यशाली बताया है कि उन्हें देशसेवा का मौका मिला। रीमा ने बताया कि जब वह छोटी थी तो उनके परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि उन्हें भी उनके भाइयों की तरह स्कूल भेजें। इसलिए उनके पिता के साथ रुकना पड़ा। उनके पिता कोयले के खदानों में काम करते थे। रीमा ने बताया कि उनके एक भाई ने उनकी शिक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। अपने जीवन में ऐसे योगदान देने वाले पुरुषों को रीमा ने हीरो करार दिया। रीमा के स्कूली दिन बेहद संघर्ष भरे रहे लेकिन उन्हें कई ऐसे रोल मॉडल मिले जिनसे उन्होंने यह सीखा कि हार मानना कोई विकल्प नहीं है। रीमा के मुताबिक, जब वह अपनी मेहनत के दम पर पश्चिम बंगाल की पहली महिला आईपीएस अफसर बनीं तो उन्हें दबी जुबान में तारीफ तो मिली लेकिन साथ में ऐसे टिप्पणी भी मसलन- मिल तो गया, कर क्या लेगी?
रीना की असली चुनौती उस वक्त शुरू हुई, जब उनमें विटिलिगो जैसी बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगे। इसकी वजह से उनके स्किन का कलर बदलने लगा। स्किन पर सफेद धब्बे दिखे तो बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया कि उनसे शादी कौन करेगा? वहीं, पहली संतान होने के बाद लोग कहने लगे कि उनका पेशा एक जिम्मेदार मां का नहीं है। रीना ने कहा कि उन्होंने ब्यूरोक्रेसी में वक्त बिताने के साथ-साथ वर्क और लाइफ में संतुलन करना सीख लिया और खुद को एक काबिल अफसर साबित किया। रीना के पति उनके बैच मेट हैं। रीना के मुताबिक, उनके पति ने उनमें पूरा भरोसा जताया और उनके साथ खड़े रहे।
रीना ने अपने लेख में बताया कि देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी सीबीआई की मुखिया बनने के लिए वह सभी मापदंडों को पूरा करती थीं। सीबीआई और एंटी करप्शन में अनुभव समेत वह सभी चार क्राइटेरिया को पूरा करती थीं, जो नियमों के मुताबिक सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति के लिए जरूरी है। रीना ने कहा कि सिलेक्शन प्रक्रिया में उस एक दिन की देरी ने उन्हें रेस से ही बाहर कर दिया, जिसे आसानी से टाला जा सकता था। रीना हैरानी जताते हुए पूछती हैं कि क्या यह उनके प्रोफेशनल करियर की आखिरी चुनौती थी, जिसे वह पार नहीं कर पाईं? रीना ने कहा, ”जब इस तरह के परिणाम सामने आते हैं तो खुद को यह समझाना मुश्किल होता है कि यह किसी व्यक्ति के काबू से बाहर की चीजें हैं…।” रीना चाहती थीं कि उन्हें सीबीआई का मुखिया मेरिट के आधार पर बनाया जाए, इसलिए नहीं क्योंकि वह महिला थीं। इसलिए क्योंकि वह एक ऐसी महिला थीं जो काबिल थी।

