उन्नाव रेप कांड में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है, यह कुलदीप सेंगर के लिए एक बड़ा झटका है। सीबीआई की तरफ से पेश हुए वकील पहले ही इस मामले को एक भयावह अपराध बता रहे थे, सख्त से सख्त सजा की मांग कर रहे थे। अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सेंगर की जमानत पर फैसला सुनाया है, हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि इस मामले में पीड़िता की उम्र 16 साल से कम थी, इसलिए अपराध की गंभीरता और बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि इस केस में अपील अभी लंबित है। सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त को बिना किसी संदेह के भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत दोषी ठहराया है। इस धारा के तहत कम से कम 10 साल की सजा का प्रावधान है, जो बढ़कर आजीवन कारावास तक जा सकती है।

तुषार मेहता ने आगे कहा कि धारा 376(2) के मामलों में न्यूनतम सजा 20 साल तय है और गंभीर परिस्थितियों में अभियुक्त को जीवन के आखिरी समय तक जेल में रखा जा सकता है। चूंकि पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम थी, इसलिए यह मामला कड़ी से कड़ी सजा के दायरे में आता है।

जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले ही हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करने के बाद उसे जमानत दी थी। हालांकि, सेंगर उस फैसले के बाद भी जेल में ही रहा क्योंकि वो रेप पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत से जुड़े मामले में 10 साल की सजा भी काट रहा है। इस मामले में भी सेंगर ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर रखी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 1984 के एआर अंतुले केस के ऐतिहासिक फैसले का हवाला देते हुए कुलदीप सेंगर को तकनीकी रूप से लोकसेवक मानने से इनकार कर दिया।

बता दें कि दिल्ली की एक निचली अदालत ने एक नाबालिग लड़की के साथ रेप मामले में साल 2019 में कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में साल 2017 की इस घटना ने देश भर में आक्रोश पैदा कर दिया था।