राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-आरएसएस की शाखाओं में लड़कियां क्यों नहीं जाती? यह सवाल बहुत पुराना है लेकिन इसपर आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी सुनील आंबेकर का एक ताजा बयान आया है। सुनील आंबेकर ने बुधवार को कहा कि जमीनी स्तर पर ऐसी कोई मांग नहीं उठी है कि शाखाओं में लड़कों के साथ ही लड़कियों को भी भाग लेना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अगर समाज की ओर से ऐसी कोई मांग उठती है तो इसपर विचार किया जाएगा, अभी तक समाज ने ऐसी कोई मांग नहीं की है। सुनील आंबेकर ने कहा कि अगर ऐसी कोई बात आती है तो संघ वर्तमान ढांचे में आवश्यक बदलाव करेगा।

क्या बोले  सुनील आंबेकर?

सुनील आंबेकर राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं,उन्होंने यह बात  ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव’ में कही। शाखा लगने के दौरान आरएसएस के स्वयंसेवक हर दिन इकट्ठा होते हैं।  वहां आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में व्यायाम और देशभक्ति के गीत गाए जाते हैं।

यह पूछे जाने पर कि संगठन में महिलाएं किसी बड़े पद पर क्यों नहीं हैं? सुनील आंबेकर ने  कहा कि जमीनी स्तर पर आरएसएस की शाखाएं केवल लड़कों के लिए हैं। लेकिन राष्ट्र सेविका समिति जो कि आरएसएस का एक सर्व-महिला संगठन है, 1930 के दशक से आरएसएस जैसा ही काम कर रही है। 

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हम कर देंगे बदलाव, अगर…

सुनील आंबेकर ने कहा कि अगर किसी इलाके के लोग कहते हैं कि लड़कियां और लड़के एक साथ इसमें भाग ले सकते हैं, तो हम अपने ढांचे में आवश्यक बदलाव करेंगे। लेकिन समाज की ओर से ऐसी कोई मांग नहीं उठी है। 

 मणिपुर के हालात पर आंबेकर ने कहा, ‘‘यह एक गंभीर मामला है और देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह गंभीर विषय है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी वहां की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।’’ उन्होंने कहा कि आरएसएस के कार्यकर्ता शांति स्थापित करने के लिए वहां जमीनी स्तर पर सक्रिय हैं, वे समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए प्रयास जारी हैं।