कर्नाटक कांग्रेस में घरेलू कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के समर्थकों के बीच वाक-युद्ध कांग्रेस आलाकामन की हिदायतों के बीच जारी है। वहीं सीएम सिद्धारमैया एक इतिहास बनाने के करीब हैं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार पहले ही यह रिकॉर्ड अपने राज्य में बना चुके हैं।
सिद्धारमैया बना सकते हैं नया रिकॉर्ड
अब सिद्धारमैया भी एक और रिकॉर्ड बनाने के करीब हैं। अगर वह 37 दिन और मुख्यमंत्री बने रहते हैं, तो वे कर्नाटक में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले नेता बन जाएंगे। नीचे दी गई टेबल से जानते हैं कि कर्नाटक में कौन कितने समय तक राज्य का मुख्यमंत्री रहा है।
| क्रमांक | मुख्यमंत्री / राष्ट्रपति शासन | कार्यकाल |
| 1 | के. चेंगालराय रेड्डी | 25-10-1947 → 30-03-1952 |
| 2 | के. हनुमंथैया | 30-03-1952 → 19-08-1956 |
| 3 | कादिदाल मंजीप्पा | 19-08-1956 → 31-10-1956 |
| 4 | एस. निजलिंगप्पा | 01-11-1956 → 16-05-1958 |
| 5 | बी. डी. जट्टी | 16-05-1958 → 09-03-1962 |
| 6 | एस. आर. कांति | 14-03-1962 → 20-06-1962 |
| 7 | एस. निजलिंगप्पा | 21-06-1962 → 28-05-1968 |
| 8 | वीरेंद्र पाटिल | 29-05-1968 → 18-03-1971 |
| 9 | राष्ट्रपति शासन | 19-03-1971 → 20-03-1972 |
| 10 | डी. देवराज उर्स | 20-03-1972 → 31-12-1977 |
| 11 | राष्ट्रपति शासन | 31-12-1977 → 28-02-1978 |
| 12 | डी. देवराज उर्स | 28-02-1978 → 07-01-1980 |
| 13 | आर. गुंडू राव | 12-01-1980 → 06-01-1983 |
| 14 | रामकृष्ण हेगड़े | 10-01-1983 → 29-12-1984 |
| 15 | रामकृष्ण हेगड़े | 08-03-1985 → 13-02-1986 |
| 16 | रामकृष्ण हेगड़े | 16-02-1986 → 10-08-1988 |
| 17 | एस. आर. बोम्मई | 13-08-1988 → 21-04-1989 |
| 18 | राष्ट्रपति शासन | 21-04-1989 → 30-11-1989 |
| 19 | वीरेंद्र पाटिल | 30-11-1989 → 10-10-1990 |
| 20 | राष्ट्रपति शासन | 10-10-1990 → 17-10-1990 |
| 21 | एस. बंगारप्पा | 17-10-1990 → 19-11-1992 |
| 22 | वीरप्पा मोइली | 19-11-1992 → 11-12-1994 |
| 23 | एच. डी. देवगौड़ा | 11-12-1994 → 31-05-1996 |
| 24 | जे. एच. पटेल | 31-05-1996 → 07-10-1999 |
| 25 | एस. एम. कृष्णा | 11-10-1999 → 28-05-2004 |
| 26 | धरम सिंह | 28-05-2004 → 02-02-2006 |
| 27 | एच. डी. कुमारस्वामी | 03-02-2006 → 08-10-2007 |
| 28 | राष्ट्रपति शासन | 08-10-2007 → 12-11-2007 |
| 29 | बी. एस. येदयुरप्पा | 12-11-2007 → 19-11-2007 |
| 30 | राष्ट्रपति शासन | 20-11-2007 → 29-05-2008 |
| 31 | बी. एस. येदयुरप्पा | 30-05-2008 → 04-08-2011 |
| 32 | डी. वी. सदानंद गौड़ा | 05-08-2011 → 11-07-2012 |
| 33 | जगदीश शेट्टर | 12-07-2012 → 12-05-2013 |
| 34 | सिद्धारमैया | 13-05-2013 → 15-05-2018 |
| 35 | बी. एस. येदयुरप्पा | 17-05-2018 → 23-05-2018 |
| 36 | एच. डी. कुमारस्वामी | 23-05-2018 → 23-07-2019 |
| 37 | बी. एस. येडियूरप्पा | 26-07-2019 → 26-07-2021 |
| 38 | बसवराज बोम्मई | 27-07-2021 → 20-05-2023 |
| 39 | सिद्धारमैया | 20-05-2023 → वर्तमान |
कई राजनीतिक पंडितों और जानकारों का मानना है कि अगर यह खींचतान जल्दी खत्म नहीं हुई तो कांग्रेस के हाथ से एक और बड़ा राज्य निकल सकता है। असल में गुरुवार को डी.के. शिवकुमार ने एक्स (Twitter) पर जो पोस्ट लिखा, उससे साफ पता चला कि वह हाईकमान पर मुख्यमंत्री बदलने का दबाव बना रहे हैं। उस पोस्ट में शिवकुमार ने लिखा था, “अपना वचन निभाना दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है। चाहे वह कोई जज हो, राष्ट्रपति हो या मैं खुद ही क्यों न हूं। सभी को अपने कहे पर अमल जरूर करना चाहिए। वचन की शक्ति ही विश्व शक्ति है।”
जैसे ही यह पोस्ट वायरल हुई, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की ओर से भी प्रतिक्रिया आ गई। उन्होंने लिखा— “किसी शब्द की कोई शक्ति तब तक नहीं होती जब तक वह लोगों के लिए बेहतर दुनिया न बना दे। कर्नाटक के प्रति हमारा वचन अडिग है।”
बीजेपी ने उठाया मुद्दा, बहुमत परीक्षण की मांग
इधर डी.के. शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच चल रही जुबानी जंग को बीजेपी ‘आपदा में अवसर’ की तरह देख रही है। बीजेपी नेताओं ने कहा है कि बहुमत परीक्षण होना चाहिए। कर्नाटक बीजेपी नेता सुनील कुमार ने अविश्वास प्रस्ताव की मांग कर दी है। यहां तक कि कुछ दावे यह भी किए जा रहे हैं कि डी.के. शिवकुमार बगावत कर कई कांग्रेसी विधायकों को तोड़ सकते हैं।
क्यों छिड़ी डीके-सिद्धारमैया में जंग?
समझने वाली बात यह है कि डी.के. शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच सीएम कुर्सी को लेकर खींचतान नई नहीं, बल्कि 2023 से चल रही है। कांग्रेस के प्रचंड बहुमत के बाद सरकार बनी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल था—मुख्यमंत्री कौन बने? कई दिनों की मशक्कत के बाद सिद्धारमैया को कुर्सी सौंप दी गई। लेकिन शिवकुमार के समर्थकों का दावा है कि कांग्रेस हाईकमान ने ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला तय किया था और कोशिश की गई थी कि इसकी सार्वजनिक घोषणा हो, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया। माना गया कि कांग्रेस सरकार को किसी भी कीमत पर कमजोर दिखाना नहीं चाहती थी और नहीं चाहती थी कि अंदरूनी कलह सामने आए।
अब, भले ही उस समय आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ, लेकिन क्योंकि वादा किया गया था, डी.के. शिवकुमार आज प्रेशर पॉलिटिक्स की राजनीति खेल रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अगर कांग्रेस उस समय किसी फॉर्मूले को लेकर सार्वजनिक घोषणा कर देती तो आज यह धर्मसंकट खड़ा ही नहीं होता।
क्या सरकार खतरे में है?
राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि कर्नाटक सरकार इस समय खतरे में नहीं है। कांग्रेस के पास 134 विधायकों के साथ मजबूत बहुमत है। वहीं, जेडीएस–बीजेपी गठबंधन के पास सिर्फ 89 सीटें हैं। ऐसे में, जब तक डी.के. शिवकुमार खुद बगावत कर विधायकों को नहीं ले जाते, कांग्रेस सरकार के गिरने की स्थिति नहीं बनती। नंबर गेम फिलहाल कांग्रेस के पक्ष में मजबूत है।
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