विश्व वन्यजीव कोष (डब्लूडब्लूएफ) की ‘लिविंग प्लेनेट’ रिपोर्ट (एलपीआर) 2022 में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट कुल 5,230 नस्लों की लगभग 32,000 आबादी पर केंद्रित है। इसमें प्रदान किए गए ‘लिविंग प्लैनेट सूचकांक’ (एलपीआई) के मुताबिक, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के भीतर वन्यजीवों की आबादी चौंका देने वाली दर से घट रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘वैश्विक स्तर पर लातिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्र में वन्यजीवों की आबादी में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है। पांच दशकों में यहां औसतन 94 फीसद की गिरावट आई है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ्रीका में वन्यजीवों की आबादी 66 फीसद और एशिया प्रशांत में 55 फीसद घटी है। अन्य नस्लों के समूहों की तुलना में ताजे पानी वाले क्षेत्रों में रह रहे वन्यजीवों की आबादी में औसतन 83 फीसद अधिक गिरावट आई है।
आईयूसीएन की लाल सूची के मुताबिक, साइकैड की आबादी पर सबसे ज्यादा खतरा है, जबकि कोरल (प्रवाल) सबसे तेजी से घट रहे हैं और उनके बाद उभयचर का स्थान आता है। डब्लूÞडब्लूएफ ने कहा कि पर्यावास की हानि और प्रवास के मार्ग में आने वाली बाधाएं प्रवासी मछलियों की नस्लों के समक्ष आए लगभग आधे खतरों के लिए जिम्मेदार हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वन्यजीवों की आबादी में गिरावट के मुख्य कारण वनों की कटाई, आक्रामक नस्लों का उभार, प्रदूषण, जलवायु संकट और विभिन्न बीमारियां हैं। डब्लूÞडब्लूएफ अंतरराष्ट्रीय के महानिदेशक मार्को लैम्बर्टिनी ने कहा, ‘‘हम मानव-प्रेरित जलवायु संकट और जैव विविधता के नुकसान की दोहरी आपात स्थिति का सामना कर रहे हैं, जो वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए खतरा साबित हो सकती है। डब्लूÞडब्लूएफ इस नए आकलन से बेहद चिंतित है।’