PM Gram Sadak Yojana: कुछ समय पहले केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों से अपील की थी कि वे उन सभी सड़कों के मैंटेनेंस बोर्ड पर QR कोड लगाएं जो प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी थीं। उस एक ऐलान के बाद से सभी के मन में सवाल है कि आखिर सड़कों पर QR कोड की क्या जरूरत है? आखिर QR कोड से ऐसा काम पूरा हो जाएगा? अब इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं, लेकिन सबसे पहले समझने की कोशिश करते हैं कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना क्या है।

क्या है प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना?

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का पहला चरण 25 दिसंबर 2000 को शुरू किया गया था, तब देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। ग्रामीण इंफ्रास्ट्राक्चर को सुधारने और बेहतर रोड कनेक्टिविटी के लिए इस योजना को शुरू किया गया था। इसी योजना का दूसरा चरण 2013 में शुरू किया गया था। इसके बाद इसी योजना के तहत Left Wing Extremism Affected Areas में सड़क निर्माण के लिए अलग से एक और प्रोजेक्ट शुरू किया गया। इसके बाद 2019 में इसी योजना का तीसरा चरण भी आरंभ हो गया।

अब 11 सितंबर 2024 को मोदी सरकार ने इसी योजना का चौथा चरण भी शुरू कर दिया है, हर मौसम वाली सड़क देना उदेश्य है। पहले तो यह योजना पूरी तरह केंद्र द्वारा ही संचालित की जाती थी, सारा पैसा उनका गता था, लेकिन 2015-16 में इसे 60:40 कर दिया गया, यानी कि 60 फीसदी खर्च अगर केंद्र करेगा तो 40 फीसदी राज्य को उठाना होगा। लेकिन पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में अभी भी इस योजना का सारा खर्च केंद्र सरकार ही उठाती है।

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सरकार की अब क्या योजना है?

असल में National Rural Infrastructure Development Agency (NRIDA) ने सभी राज्यों को QR कोड के लिए एक चिट्ठी लिखी है। उस QR कोड से ना सिर्फ लोग आसानी से अपनी शिकायत दर्ज करवा पाएंगे बल्कि कहना चाहिए सड़कों का रखरखाव भी आसानी से हो जाएगा। अब यहां पर समझना जरूरी है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जितनी भी सड़कों का निर्माण होता है, उनकी देखरेख पांच साल के लिए किसी कॉन्ट्रैक्टर द्वारा की जाती है।

यहां भी पारदर्शिता बनी रहे, इसलिए मोबाइल पर e-MARG सिस्टम डेवलप कर रखा है। अब कॉन्ट्रैक्टर को सिर्फ सड़क की देखरेख करनी होती है जो भी रखरखाव में खर्चा होता है, उसका बिल इसी eMARG एप्लीकेशन पर अपलोड करना होता है। अब यहां पर फिर फील्ड इंजीनियरिंग स्टार की जिम्मेदारी आती है जो कॉन्ट्रैक्टर के डेटा को वेरिफाई करता है, वो सड़कों का रुटीन इंस्पेक्शन भी करता है।

QR CODE से क्या होगा?

अब इसी सब में एक नई चीज जुड़ने जा रही है- QR CODE। हर सड़क के लिए एक QR कोड जनरेट किया जा सकता है, उससे फीडबैक देने में आसानी रहेगी। लोग अंग्रेजी और किसी भी दूसरी लोकल भाषा में भी अपना फीडबैक दे सकते हैं। यह भी बताया जा रहा है कि जब कोई सड़क पर बने QR CODE को स्नैन करेगा तो उस स्थिति में उसे उस सड़क की ह जानकारी मिल जाएगी। इसके अलावा वो खुद भी उन सड़कों की तस्वीर क्लिक कर अपना फीडबैक दे सकता है। बाद में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए उन तस्वीरों का विश्लेषण होगा। उन सड़कों को परफॉर्मेंस इवैल्यूएशन मार्क्स भी दिए जाएंगे।

तर्क दिया गया है कि इस प्रक्रिया की वजह से जनता की भागीदारी भी बढ़ेगी और ग्रामीण सड़कों का रखरखाव भी प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा।

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 Harikishan Sharma की रिपोर्ट