सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे रंजन गोगोई का कहना है कि कोर्ट में केवल परतें उधेड़ी जाती हैं, वहां आपको न्याय नहीं मिलता है। दरअसल, एक कान्क्लेव में उनसे सवाल किया गया था कि अपने ऊपर लगे आरोपों पर उन्होंने कानूनी रास्ता क्यों नहीं चुना?
कान्क्लेव में उनसे सवाल किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर चुने जाने से पहले आप नाराज जजों की श्रेणी में आते थे, लेकिन उसके बाद बीजेपी सरकार के सबसे पसंदीदा जज बने। आपको राज्यसभा की सदस्यता भी उपहार में दी गई। दो दिन पहले राज्यसभा में महिला सांसद ने आपके ऊपर आरोप भी लगाया। रंजन गोगोई ने कहा, क्या जज और पूर्व जज को डरना चाहिए। उसे इस बात से डरना चाहिए कि मन मुताबिक फैसला नहीं दिया तो रिटायरमेंट के बाद उस पर हमले किए जाएंगे। हालांकि उन्होंने माना कि बहुत से जजों पर इस तरह के हमले होते हैं और इसका असर भी कई मामलों में देखने को मिला है।
अपने ऊपर लगे आरोपों पर पूर्व CJI #RanjanGogoi ने रखी बात, कहा कि- आरोप लगाने वाले मेरा नाम लेने से क्यों डरते रहे….भारत के लोग बिना तथ्यों के आरोप लगाते हैं, ये समस्या है. @KDscribe | #ConclaveEast21 | https://t.co/mcp5zKxjk7 pic.twitter.com/Lz1oxhQd6P
— AajTak (@aajtak) February 11, 2021
गोगोई का कहना था कि एक महिला सांसद ने आरोप लगाया, लेकिन उनके पास तथ्य भी पूरे नहीं थे। उनका कहना था कि कम से कम जिस पर आरोप लगा रहे हैं, उसका नाम तो लेकर दिखाएं। उनका कहना था कि मेरा एक नाम है। सांसद को कुछ गलत लगता था तो मेरा नाम लेना चाहिए था। उनसे सवाल किया गया कि सांसद का कहना था कि आपने अपने मामलों को निपटाने के लिए गलत तरीके से काम किया। गोगोई का कहना था कि उनके ऊपर लगे यौन उत्पीड़न के मामले के जिक्र के बगैर सुप्रीम कोर्ट या जूडिशियरी की चर्चा पूरी नहीं हो सकती। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों की कमेटी ने इस मामले की सुनवाई की। आरोप लगाने से पहले तथ्य तो ठीक करने चाहिए। इस देश की खामी है कि तथ्यों को परखे बगैर लोग आरोप लगा देते हैं। गोगोई के मुताबिक, यह प्रैक्टिस ठीक नहीं है।
पूर्व सीजेआई का कहना था कि फ्यूचर जेनरेशन के लिए यह एक नजीर है। जब उनसे पूछा गया कि अपने ऊपर लगे आरोपों के खिलाफ आप कोर्ट क्यों नहीं गए। उनका कहना था कि अगर आप कोर्ट जाते हैं तो आपको पछतावा होता है। कोर्ट में केवल परतें उधेड़ी जाती हैं। उनका सवाल था कि कोर्ट जाता कौन है। उन्हें यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि अगर आप कॉरपोरेट हैं तो चांस लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाते हैं। फैसला आपके मुताबिक आ गया तो सब ठीक है नहीं तो जैसे अमूमन सुना जाता है, कोई बात नहीं। प्रॉपर्टी विवाद के लिए लोग अक्सर ट्रायल कोर्ट की शरण लेते हैं। इनमें से ही कुछ लोग अपील करने हाईकोर्ट जाते हैं। इनके अलावा इस देश में और कौन कोर्ट जाता है।
गोगोई का कहना था कि न्यायिक न्यवस्था में गंभीर सुधार की जरूरत है। मैने खुद 14 माह तक बतौर सीजेआई काम किया है। हमारे पास काफी सारे अच्छे जज हैं, जो 24-7 काम कर रहे हैं। लेकिन फिर भी चीजें उतने अच्छे तरीके से नहीं हो पा रही हैं। उनके मुताबिक, अगर सिस्टम ठीक नहीं होगा तो अच्छे लोग भी बेअसर हो जाते हैं।