भारत सरकार की ओर से पेश किया गया वक्फ बोर्ड संशोधन बिल अब समीक्षा के लिए जेपीसी के पास भेज दिया गया है। जब लोकसभा में यह बिल पेश किया गया तब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इसका जमकर विरोध किया। कई मुस्लिम संगठनों और खास कर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) कहा है कि वह मौजूदा वक्फ कानून में किसी तरह का कोई बदलाव मंजूर नहीं करेगा। लेकिन ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल (एआईएसएससी) ने इसका स्वागत किया।

 AISSC  के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने इस मामले पर इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत की है। वह अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान के उत्तराधिकारी हैं।

आप क्यों वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का समर्थन कर रहे हैं?

जवाब: इसके दो पहलू हैं। देश में दरगाहों का प्रतिनिधित्व करने वाली अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद ने वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के लिए सरकार को पहले भी कई ज्ञापन सौंपे हैं। इसमें कुछ धाराएं ऐसी हैं जिनमें पारदर्शिता के लिए बदलाव की ज़रूरत है। साथ फिलहाल वक्फ एक्ट में दरगाहों की परंपराओं या इन दरगाहों के प्रतिनिधियों (सज्जादानशीन) का कोई ज़िक्र नहीं है। हमने देखा है कि कई वक्फ बोर्डों में भ्रष्टाचार है और इसे दूर करने के लिए अधिनियम में संरचनात्मक बदलाव की आवश्यकता है।

दूसरा पहलू यह है कि यह मेरी निजी राय है। मतलब यह है कि अगर (वक्फ) संपत्तियों पर पुरानी दरों के हिसाब से किराया वसूला जा रहा है, तो इसे संशोधित किया जाना चाहिए। यह भी संदेह है कि किराया बैक चैनल के ज़रिए वसूला जा रहा है। अगर इतनी ज़मीन है, तो उससे आने वाला पैसा हज़ारों करोड़ है। लेकिन इसका इस्तेमाल कहां हो रहा है? इसका इस्तेमाल सामाजिक कामों के लिए होना चाहिए।

क्या आपने सरकार द्वारा लाए गए बिल को देखा और पढ़ा है?

जवाब: सरकार बिल लाई है और हमने इसका स्वागत किया है। हमने अपनी कानूनी टीम के साथ बिल को पढ़ा भी है। फिर हमें बिल से कुछ दिक्कतें भी थीं और हमने उन मुद्दों को सरकार के सामने उठाया भी है। दो तीन ऐसे बिन्दु है जहां हमारे लोगों को दिक्कत है। उदाहरण के लिए नए सर्वे के बाद संपत्तियों पर अधिकार को लेकर कुछ आशंकाएं हैं। हमने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और सचिव के सामने यह मुद्दे उठाए हैं। हमें बताया गया कि सभी के अधिकारों की रक्षा की जाएगी और कोई भी किसी की जमीन पर कब्जा नहीं करेगा।

सवाल : नए बिल में क्या बदलाव चाहते हैं?

जवाब : हम दरगाहों के लिए अलग बोर्ड चाहते हैं। जैसे सरकार ने बोहरा और आगाखानियों के लिए अलग बोर्ड बनाए हैं, वैसे ही हम वक्फ अधिनियम के तहत अलग दरगाह बोर्ड चाहते हैं। हम चाहते हैं कि दरगाहों की खास परंपराओं और रीति-रिवाजों को अधिनियम के प्रावधानों में शामिल किया जाए।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कई विपक्षी दलों ने कहा है कि यह बिल संविधान की भावना के खिलाफ है क्योंकि यह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करता है। आप इन आरोपों के बारे में क्या सोचते हैं?

जवाब : मेरा मानना ​​है कि इस पर कुछ भी कहना जरूरी नहीं है क्योंकि बिल एक पैनल के पास जा चुका है। सभी राजनीतिक दल अपने प्रतिनिधि भेजेंगे। वहां सभी मुद्दे उठाए जा सकते हैं।