Jagjit Singh Dallewal: हरियाणा और पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले एक महीने से आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनकी और किसान संगठनों की मांग है कि भारत में किसानों के लिए MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का गारंटी कानून बनाया जाना चाहिए। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर किसान MSP की कानूनी गारंटी देने की मांग क्यों कर रहे हैं, इसे समझना बहुत जरूरी है।

चूंकि MSP का मतलब है न्यूनतम समर्थन मूल्य। इसमें न्यूनतम का मतलब है सबसे कम, समर्थन का मतलब है मदद और मूल्य का मतलब है वह कीमत जो सबसे कम यानी न्यूनतम समर्थन देने के लिए है। MSP की यह योजना लगभग 60 साल पहले शुरू की गई थी और यह वह दौर था जब देश अपनी बढ़ती आबादी का पेट भरने में सक्षम नहीं था।

MSP को तब किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में शुरू किया गया था क्योंकि यह कहा गया था कि अगर किसानों की फसल बाजार में नहीं बिकती है तो सरकार इसे कम से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी लेकिन उस वक्त इसमें किसानों के लिए फसल के उत्पादन में लगने वाली लागत पर ध्यान नहीं दिया गया था।

सरकार ने तब फ्री फर्टिलाइजर, सब्सिडी और कैमिकल का इस्तेमाल करके कृषि उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया था।

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इससे हुआ यह कि ऐसे किसान जो इससे पहले कभी भी बाजार पर निर्भर नहीं थे, उन्हें बाजार पर निर्भर होना पड़ा। इसका फायदा व्यापारियों ने उठाया और इसके जरिए किसानों का शोषण किया जाने लगा। धीरे-धीरे उत्पादन की लागत बढ़ने लगी और इस सबके बीच MSP की बात बहुत पीछे छूट गई और यह किसानों के द्वारा आत्महत्या करने की वजहों में से एक हो सकता है।

चार लाख किसानों ने की आत्महत्या

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बनाई गई कमेटी की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पिछले तीन दशकों में चार लाख किसानों ने आत्महत्या की है लेकिन अगर हम आंकड़ों से आगे बढ़कर देखें तो यह संख्या 7 लाख के आसपास है।

कुछ लोगों का तर्क है कि पंजाब के किसानों को MSP की जरूरत नहीं है। बुद्धिजीवी वर्ग और पंजाब सरकार लगातार घटते ग्राउंडवाटर को लेकर चिंता व्यक्त करते हैं लेकिन इस बारे में अभी तक कोई भी ठोस हल सामने नहीं रखा गया है। कहा जाता है कि एक किलो चावल पैदा करने के लिए 3,000 से 3,500 लीटर पानी की जरूरत होती है। यह जानकारी इतनी बार लोगों के सामने रखी जा चुकी है कि लोग इससे परेशान हो चुके हैं।

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Farmer Leader | Jagjit Singh DallewaL | supreme court
Farmer Leader Jagjit Singh Dallewal: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने बुधवार को पंजाब के संगरूर जिले में खनौरी बॉर्डर पर 26 नवंबर से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल से मुलाकात की। (PTI)

पंजाब में खत्म हो रहा ग्राउंडवाटर

कुछ लोग इस बात का दावा करते हैं कि पंजाब में ग्राउंडवाटर अब केवल 15 से 20 साल के लिए ही पीने के पानी के रूप में मिलेगा। इसलिए किसान संगठनों ने 23 फसलों के लिए MSP का गारंटी कानून बनाने की मांग उठाई है क्योंकि किसानों को उम्मीद है कि इससे फसलों के डायवर्सिफिकेशन (विविधीकरण) को बढ़ावा मिलेगा।

अगर 23 फसलों के लिए MSP की गारंटी वाला कानून बन जाता है तो पंजाब और हरियाणा के किसान गेहूं और धान से ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलें उगाने के लिए आगे आएंगे। इससे ग्राउंडवाटर यानी भूजल के पानी का मुद्दा भी हल हो जाएगा।

फसलों के डायवर्सिफिकेशन को बढ़ावा देने की वजह से खेती में होने वाली बिजली की खपत भी कम होगी। ऐसा मानना है कि यह 60% तक घट जाएगी। इससे पंजाब में लोगों को सस्ती बिजली मिलेगी। इसके अलावा ग्राउंड वाटर को बचाने में भी मदद मिलेगी और इससे सभी को फायदा होगा।

फसलों के डायवर्सिफिकेशन से भारत को तेल और दालों का कम आयात करना पड़ेगा, इससे विदेशी पैसा बचेगा क्योंकि भारत तेल और दाल के आयात पर लगभग 2 लाख करोड़ रुपए हर साल खर्च करता है। पंजाब न केवल तिलहन और दालों की फसल उगाता है बल्कि कई और तरह की फसलें भी पैदा करता है। पंजाब के किसानों ने अतीत में देश को खाद्यान्न की कमी से उबरने में मदद की है।

MSP की गारंटी देने से देश को फायदा होगा

कुछ अर्थशास्त्री और बुद्धिजीवी सुझाव देते हैं कि फसलों के लिए MSP के गारंटी कानून में जितना पैसा खर्च होगा, वह भारत के द्वारा तेल और दालों के आयात पर खर्च किए जाने वाले पैसे से बहुत कम होगा। विशेषज्ञ तो यहां तक कहते हैं कि MSP की गारंटी देने पर सिर्फ 20 से 50 हजार करोड़ तक का खर्च आएगा।

MSP की गारंटी देने से न केवल किसानों के जिंदगी की हिफाजत होगी बल्कि स्वास्थ्य और देश की संपत्ति की भी रक्षा होगी।

सरकार लगातार दावा कर रही है कि वह किसानों को MSP दे रही है लेकिन ऐसा नहीं है। बिहार और उत्तर प्रदेश में धान के लिए MSP 2325 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है लेकिन किसान इसे 1000 से 1400 रुपये में बेचने के लिए मजबूर हैं। ऐसा ही राजस्थान में भी होता है, जहां पर किसान अपनी बची हुई फसल को बहुत कम दामों पर बेच देते हैं।

किसानों को 60 लाख करोड़ का नुकसान

यह समस्या आगे हरियाणा, मध्य प्रदेश और दूसरे राज्यों में भी दिखाई देती है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन की रिपोर्ट बताती है कि किसानों को कम मार्केट प्राइस सपोर्ट (MPS) देकर सरकार ने किसानों को लगभग 60 लाख करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है और यह किसानों की आत्महत्या का एक बड़ा कारण है।

OECD की रिपोर्ट के अनुसार, केवल 2023 में, देश को किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के तहत कम दाम देने के कारण 14.72 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। इस लगातार आर्थिक नुकसान ने किसानों को भारी कर्ज में डूबने को मजबूर कर दिया है। सच तो यह है कि किसानों पर बढ़ते कर्ज के पीछे असली वजह उन्हें उचित MSP न देना है।

कृषि क्षेत्र को होने वाले और ज्यादा नुकसान से बचाने और किसानों के संकट को कम करने के लिए सरकार को फसलों के लिए MSP की गारंटी देना जरूरी है।