मोदी सरकार में मंत्री और यूपी वेस्ट की पार्टी रालोद के मुखिया जयंंत चौधरी ने बुधवार को ‘प्रवासी राजस्थान दिवस’ में शामिल होने का अपना कार्यक्रम अचानक कैंसिल कर दिया। मामले की जानकारी रखने वाले उनकी पार्टी के सूत्रों ने इस फैसले को कार्यक्रम के विज्ञापन में उनका नाम न होने के कारण नाराजगी से जोड़ा है।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जयंत चौधरी ने कार्यक्रम से कुछ घंटे पहले अपना दौरा रद्द कर दिया। उनके इस फैसले से उनकी पार्टी के कार्यकर्ता भी हैरान हैं। उनके कार्यक्रम में शामिल न होने की वजह अखबारों में इवेंट के आधिकारिक विज्ञापन में उनका नाम ने होना बताया जा रहा है।

जयंत चौधरी का स्वागत करने के लिए राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकर्ताओं ने जयपुर शहर को होर्डिंग्स और पोस्टरों से पाट दिया था। एक सूत्र ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जयंत चौधरी के स्वागत में 250 कारों के काफिले का इंतजाम किया गया था। इन गाड़ियों में पूरे राजस्थान से कार्यकर्ता बैनर और पोस्टर लेकर आए थे।

उन्होंने आगे बताया, “बुधवार सुबह 10.30 बजे मुझे RLD के एक सेंट्रल लीडर की कॉल आई कि जयंत जी ने अपना ट्रिप कैंसिल कर दिया है। जब मैंने पूछा क्यों, तो उन्होंने बताया कि वह इस बात से नाखुश हैं कि उनका नाम ऑफिशियल ऐड से गायब था।”

सरकारी विज्ञापन में क्या छपा था?

अखबारों में छपे सरकारी विज्ञापन में लिखा था, “हमारे प्रवासी राजस्थानी भाई-बहनों ने अपनी मेहनत और हुनर से देश-विदेश में नाम कमाया है और राजस्थान की धरती को गर्व महसूस करवाया है। राज्य के विकास की यात्रा में प्रवासियों को साझेदार बनाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हर साल ‘प्रवासी राजस्थानी दिवस’ मनाने की पहल की है।”

विज्ञापन में आगे कहा गया, “पहला प्रवासी राजस्थानी दिवस आज, 10 दिसंबर को जयपुर में आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम हमारे प्रवासी समुदाय (डायस्पोरा) के साथ रिश्ते मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” इसमें यह भी बताया गया कि कार्यक्रम में उपस्थित रहने वाले प्रमुख लोग- राजस्थान के राज्यपाल हरीभाऊ किसनराव बागडे, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और भूपेंद्र यादव, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया हैं।

कार्यक्रम में शामिल न होने पर क्या बोले जयंत चौधरी?

जब इस मामले पर जयंत चौधरी की प्रतिक्रिया जानने के लिए द इंडियन एक्सप्रेस ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने कोई अन्य टिप्पणी न करते हुए संसद के मौजूदा सत्र को इसकी वजह बताया।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि जयंत चौधरी के इस फैसले से मुख्यमंत्री कार्यालय में कुछ भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। सूत्रों का कहना है कि उन्हें अपने फैसले पर दोबारा विचार के लिए फोन भी किए गए।

हालांकि, जब संपर्क किया गया तो सीएमओ अधिकारियों ने किसी विवाद की बात को खारिज कर दिया। एक अधिकारी ने कहा, “हमने जयंत चौधरी का स्वागत करने के लिए पूरे शहर में कई होर्डिंग लगाए हैं। जरूर कोई और कारण होगा क्योंकि संसद सत्र चल रहा है। हमें सांसद के कार्यालय की ओर से कार्यक्रम को लेकर किसी तरह की नाराजगी की शिकायत नहीं मिली है।”

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