Indian Railway: भारतीय रेलवे महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई सुविधाएं देता है। इन्हीं में से एक सुविधा उनके लिए रिजर्व कोच की है। इसी को लेकर आरटीआई में बड़ा खुलासा हुआ है। देश में पिछले पांच सालों के दौरान महिलाओं के लिए रिजर्व डिब्बों में यात्रा करने के लिए तीन लाख से ज्यादा पुरुषों को अरेस्ट किया गया है।
नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने आज पीटीआई भाषा को बताया कि रेलवे बोर्ड ने उनके द्वारा दायर की गई आरटीआई पर जानकारी दी है। साल 2019 में 1,13,501, 2020 में 23,361, 2021 में 25,026, 2022 में 63,741 और 2023 में 77,985 पुरुषों को ट्रेन के महिला कोच से यात्रा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
कोविड के बाद फिर बढ़ा आंकड़ा
बीते पांच सालों में पश्चिम रेलवे में सबसे ज्यादा 63,542 आरोपियों को इस कानून के तहत दबोचा गया। बीते पांच साल में इस आंकड़े में काफी बदलाव देखने को भी मिले हैं। कोरोना काल के समय ऐसे मामलों में गिरावट दर्ज की गई थी क्योंकि उस समय केवल कुछ स्पेशल ट्रेनें ही संचालित हो रही थी। इस समय आकंड़ा काफी घट गया था। हालांकि, कोविड के बाद से स्थिति में फिर से बढ़ोतरी देखी गई है।
क्या है सजा का प्रावधान
रेलवे में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर नियम कायदे भी हैं। महिलाओं के लिए रिजर्व डिब्बे में पुरुष यात्री के पकड़े जाने पर धारा 162 के तहत एक्शन लिया जाता है। इसमें 500 रुपए के जुर्मान का प्रावधान है और जुर्माना नहीं भरने पर छह महीने की जेल का प्रावधान है। हर दिन दर्जनों पुरुष यात्री महिला बोगी में सफर करते हैं। इससे महिलाओं को असुविधा होने के साथ ही सुरक्षा का खतरा भी रहता है। रेल में होने वाले क्राइम को लेकर जीआरपी या स्थानीय पुलिस केस दर्ज करती है।