Chandrayaan 3 Moon Landing: भारत के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। इसरो इतिहास रचने से सिर्फ एक कदम की दूरी पर है। जैसे ही शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा, ऐसा करने वाला भारत पहला देश बन जाएगा। 14 जुलाई को चंद्रयान-3 लॉन्च होने के बाद इसे चांद की सतह पर उतरने में 41 दिन का समय लगा है। इससे पहले चीन, अमेरिका और रूस सिर्फ 4 दिन में भी अपने मिशन को पूरा कर चुके हैं। चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सीधा नहीं जा रहा है बल्कि यह पृथ्वी और चांद की कक्षाओं में चक्कर लगाता हुआ आगे बढ़ रहा है। भारत पहला देश है जिसने इस तकनीक का इस्तेमाल किया है।
क्यों किया गया इस तकनीक का इस्तेमाल
भारत ने अपने मून मिशन में ठीक वैसी की तकनीक का इस्तेमाल किया है जैसा मंगलमिशन के दौरान किया गया था। हालांकि दूसरे देश अभी तक चांद पर सीधे ही पहुंचे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस चांद पर सीधा जाने के लिए अधिक ईंधन खर्च होता है। इससे मिशन का खर्च भी बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक चीन, अमेरिका और रूस की भारत के मुकाबले एडवांस है। उनके रॉकेट इसरो से ज्यादा पावरफुल हैं। दरअसल किसी भी रॉकेट में फ्यूल की क्षमता जितनी अधिक होती है वह उतना भी ज्यादा पावरफुल होता है।
चंद्रयान-3 ने बचाए देश के करोड़ों रुपये
इसरो ने इस तकनीक का इस्तेमाल कर देश के करोड़ों रुपये भी बचाए हैं। इसे अगर आम भाषा में समझें तो चंद्रयान-3 जब पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा तो वह उसी के साथ पृथ्वी के चारों ओर घूमने लगा। धीरे-धीरे इसकी कक्षा बढ़ाई गई। इसमें कम ईंधन खर्च हुआ। पृथ्वी के कक्षा से बाहर निकलने के बाद इसे चांद में कक्षा में पहुंचाया गया और धीर-धीरे इसे चांद की कक्षा में नीचे लाया गया। अब चंद्रयान-3 चांद से सतह से सिर्फ 25 किमी ऊपर घूम रहा है। इसरो धीरे-धीरे इसकी स्पीड कम कर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश करेगा।
2019 में चंद्रयान-2 में इस्तेमाल हुई यही तकनीक
बता दें कि 2019 में भारत के चंद्रयान-2 में भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि इसकी चांद की सहत पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो सकी। चंद्रयान-2 लैंडिंग करते वक्त ही क्रैश कर गया था। इस बार चंद्रयान-3 मिशन को बनाते वक्त सबसे अधिक फोकस इसके सॉफ्ट लैंडिंग पर ही रहा है। विक्रम लैंडर के सफलता पूर्वक लैंड करने के बाद प्रज्ञान रोवर लैंडर के अंदर से निकलेगा और चांद की सतह पर मौजूद अहम जानकारी जुटाएगा। रोवर ही चन्द्रमा के सतह से मिली जानकारी को धरती पर भेजेगा।