भारत में पूर्वी तट के चक्रवात कोई नई बात नहीं है। बंगाल की खाड़ी में हर साल औसतन 5 से 6 महत्वपूर्ण चक्रवात उठते रहते हैं। मानसून शुरू होने से पहले अप्रैल और मई में मानसून खत्म होने के तुरंत बाद अक्टूबर से दिसंबर तक का मौसम उष्टकटिबंधीय चक्रवात का मुख्य समय है। जबकि फनी चक्रवात इन सबसे थोड़ा अलग है।
मुख्य रूप से अपनी क्षमता के कारण और जिस रूट से यह गुजरेगा उसके कारण। आमतौर पर अप्रैल-मई में आने वाले चक्रवात अक्टूबर-दिसंबर में आने वाले चक्रवात की तुलना में थोडे़ कमजोर होते हैं। साल 1891 से लेकर इस साल अप्रैल तक ऐसे 14 मौके आए हैं जब बहुत खतरनाक चक्रवात आया हो। इनमें से एक 1956 में आया था जो मुख्य रूप से भारत पहुंचा था। जबकि अन्य चक्रवात बांग्लादेश, म्यांमार व दक्षिण एशिया के अन्य की तरफ मुड़ गए थे।
1990 से अब तक ऐसे 4 ही चक्रवात आए हैं। फनी न सिर्फ ‘खतरनाक’ चक्रवात है बल्कि अत्यंत ‘खतरनाक चक्रवात’ है। बंगाल की खाड़ी से उठने वाले उष्टकटिबंधीय चक्रवातों को उनके केंद्र से हवा की गति के आधार पर ग्रेड दिया जाता है।
30 से 60 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार वाले चक्रवात को कम, 61 से 88 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार वाले वाले को चक्रवाती तूफान, 89 से 117 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार वाले को गंभीर चक्रवात और 118 से 166 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार वाले को अति गंभीर चक्रवाती तूफान की श्रेणी में रखा जा ता है।
167 से 221 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार वाले को अत्यंत गंभी चक्रवाती तूफान और 222 किलोमीटर प्रतिघंटा या इससे अधिक की रफ्तार वाले को सुपर साइक्लोन कहा जाता है। फनी असामान्य है, एक तो इसके उद्गम स्थल के कारण और यह भूमध्य रेखा के बिल्कुल करीब है। इसके अलावा जिस रूट से यह गुजर रही वह इसे भूभाग तक लेकर जाएगा।
ऐसे में जानमाल के हानि होने की आशंका अधिक है। बंगाल की खाड़ी से उठने वाले तूफान का अक्षांश सामान्यत 10 डिग्री होता है। जबकि फनी भूमध्य रेखा के बिल्कुल करीब लगभग 2 डिग्री पर है। जो श्रीलंका भूभाग के नीचे है।
आईआईटी भुवनेश्वर के मौसमविज्ञानी यूसी मोहंती ने कहा कि इसके शुरुआत में उत्तर पश्चिम की तरफ बढ़ने का अनुमान था लेकिन बीच में ही इसका मार्ग बदल गया। अब यह उत्तर पूर्व की तरफ बढ़ गया है जो ओडिशा पहुंचेगा। मोहंती का कहना है कि फनी रिकर्व के कारण इसे समुद्र में अधिक समय मिल गया और इसकी क्षमता बढ़ गई है। इससे पहले एक सामान्य चक्रवात था।
