Delhi News: तीन लोगों के एक परिवार को दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी बताकर हिरासत में लिया गया और फिर आखिरकार पड़ोसी देश में धकेल दिया गया। यह बात उनके रिश्तेदारों ने बताई है। रिश्तेदारों ने यह भी दावा किया कि यह परिवार पश्चिम बंगाल के बीरभूम का रहने वाला है। दिल्ली में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि दानिश शेख, उनकी पत्नी सुनाली खातून और उनके नाबालिग बेटे को वेरिफिकेशन के बाद बांग्लादेश भेज दिया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और मध्य प्रदेश में ऐसी ही हिरासत में लिए जाने के बाद घटित हुई है। हाल ही में, पश्चिम बंगाल के रहने वाले कुल सात लोगों को मुंबई पुलिस ने हिरासत में लिया और 14 जून को सुबह 3:30 बजे बीएसएफ द्वारा बांग्लादेश में धकेल दिया गया। मुर्शिदाबाद के चार युवकों के अलावा, पूर्वी बर्धमान के एक युवक, उत्तर 24 परगना जिले के एक पति-पत्नी की जोड़ी को बंगाल सरकार के दखल के बाद बांग्लादेश से वापस लाया गया।

26 जून को बांग्लादेश भेज दिया गया

बंगाल में टीएमसी सरकार के दखल के बाद लोगों को वापस लाया गया और उनके घर भेज दिया गया। डीसीपी (Rohini) राजीव रंजन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘पहले स्थानीय पुलिस स्तर पर वैरिफिकेशन और उसके बाद एफआरओ द्वारा गहन पूछताछ के बाद उन सभी को 26 जून को बांग्लादेश भेज दिया गया। वे बांग्लादेश के बागेरहाट के रहने वाले हैं।’

प्रवासी मजदूर कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद समीरुल इस्लाम ने दावा किया, ‘इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। ऐसा हर दिन हो रहा है। भूमि रिकॉर्ड समेत सभी सबूत दिखाने के बावजूद ऐसा हुआ है।’ इस्लाम ने दावा किया, ‘हमारी सरकार ने हस्तक्षेप किया है, लेकिन बीजेपी शासित राज्यों और दिल्ली में प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। हम सोमवार को अदालत जाएंगे और अदालत से अपील करेंगे कि उन्हें न्यायाधीश के सामने पेश किया जाए। क्या बंगाल के बाहर बंगाली में बात करना कोई गलती है।’

बांग्लादेश भेज दिया गया था बंगाल का शख्स

दिल्ली में कूड़ा बीनने का काम कर रहे थे

परिवार के सदस्यों के अनुसार, शेख, उनकी पत्नी सुनाली और उनके नाबालिग बेटे को पुलिस ने पकड़ लिया और दिल्ली के एक पुलिस थाने ले गई। परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि शेख और उनकी पत्नी बीरभूम जिले के मुरारोई पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत पैकर गांव के रहने वाले हैं। दिल्ली से इंडियन एक्सप्रेस से फोन पर बात करते हुए सुनाली की चचेरी बहन रोशनी बीबी ने कहा, ‘वे प्रवासी मजदूर हैं जो पिछले 20 सालों से दिल्ली में कूड़ा बीनने का काम कर रहे हैं। उन्हें 18 जुलाई को पुलिस ने हिरासत में लिया था। जमीन के कागजात समेत सभी दस्तावेज पुलिस को सौंप दिए गए थे। लेकिन वे नहीं माने।’

रिश्तेदारों को किया कॉल

रोशनी बीबी ने कहा, ‘उनकी दूसरी बच्ची को हिरासत में नहीं लिया गया क्योंकि वह किसी दूसरी जगह अपने रिश्तेदार के पास थी। हमें तब तक नहीं पता था कि परिवार के साथ क्या हुआ जब तक उन्होंने हमें बांग्लादेश से फोन नहीं किया। उन्होंने कहा कि किसी ने उन्हें वहां शरण दी है, लेकिन वे जगह नहीं बता पाए।’ सुनाली के चचेरे भाई और बीरभूम के रहने वाले रॉकी शेख ने बताया, ‘उन्होंने कई सालों तक दिल्ली में कूड़ा बीनने का काम किया। ज्यादातर प्रवासी मजदूरों की तरह वे भी त्योहारों के दौरान अपने पैतृक गांव आते हैं। वे यहां आए और डेढ़ महीने पहले ही दिल्ली के लिए रवाना हुए।’ बांग्लादेशी ट्रांसजेंडर को पुलिस ने कर दिया था देश से बाहर