उत्तरकाशी टनल से मजदूरों के सफल रेस्क्यू के बाद उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह ने मंगलवार रात प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया के सवालों का जवाब दिया। जब मीडिया ने उनसे सवाल किया कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टनल से किसे पहले और किसे अंत में निकाला गया तो उन्होंने बताया कि यह तय किया गया था कि जो सबसे छोटे होंगे, उन्हें सबसे पहले निकाला जाएगा और जो टीम लीडर हैं, उन्हें अंत में निकाला जाए।
इस दौरान उन्होंने बताया कि टनल के अंदर फंसे सब अहमद, गब्बर सिंह और अखिलेश से उनकी लगातार बात हो रही थी। टनल से निकलने के बाद उन्होंने सभी श्रमिकों से बात की। इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड राज्य की तरफ श्रमिकों के लिए 1 लाख रुपये सहायता का ऐलान किया और कहा कि सुरंग के बाहर बाबा बौख नाग का मंदिर बनाया जाएगा।
NDRF के चार जवान गए थे मलबे के पार
श्रमिकों को रेस्क्यू के लिए डाले गए पाइप के जरिए पहले NDRF की टीम के चार सदस्य मलबे के पार सुरंग के दूसरे छोर पर गए। सुरंग के दूसरे छोर तक रेंग कर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति NDRF टीम कमांडर मनमोहन ने बताया, “जैसे ही हमने उनकी ओर हाथ हिलाया और कहा की कि NDRF टीम उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए यहां है और उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, श्रमिकों के समूह के बीच जबरदस्त उत्साह पैदा हो गया।”
उन्होंने बताया कि NDRF की टीम करीब दो घंटे तक वहां मौजूद रही। राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले NDRF कर्मी सचिन चौधरी ने PTI को बताया, “हमने उन्हें बताया कि हम NDRF से हैं और आपको सुरक्षित निकालने आए हैं तथा पूरा देश आपके साथ खड़ा है।” उन्होंने कहा, “हम 800mm डायामीटर वाले पाइपों में रेंगते हुए उनके पास पहुंचे। हमारे पीछे स्ट्रेचर थे। हमारे पास ऑक्सीजन सिलेंडर और पानी की बोतलें थीं।”
राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति ने अभियान की सराहना की
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 41 श्रमिकों को बचाने के सफल अभियान की सराहना की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राष्ट्र श्रमिकों की सहनशक्ति को सलाम करता है और बड़े व्यक्तिगत जोखिम के बावजूद महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए उनका आभारी है। उन्होंने X पर लिखा, “मैं उन टीमों और सभी विशेषज्ञों को बधाई देती हूं जिन्होंने इतिहास के सबसे कठिन बचाव अभियानों में से एक को पूरा करने के लिए अविश्वसनीय धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ काम किया है।”
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, “उत्तराखंड की सुरंग में फंसे सभी श्रमिकों को सुरक्षित निकाले जाने के बारे में जानकर बहुत खुशी हुई। उनकी 17 दिन की कठिन परीक्षा ने मानवीय सहनशक्ति, बेजोड़ धैर्य और इस अदम्य विश्वास को प्रदर्शित किया कि देश उनके साथ खड़ा है।” (इनपुट – ANI / PTI / भाषा)