राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जब बुधवार को अंबाला एयरबेस पर पहुंचीं और एक बार फिर से विंग कमांडर शिवांगी सिंह को लेकर चर्चा होने लगी। इस साल जब पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में एयर स्ट्राइक की थी तो पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने भारत के राइफल जेट को गिराया है और पायलट शिवांगी सिंह को पकड़ लिया है। लेकिन आज जब शिवांगी सिंह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ दिखाई दीं तो पाकिस्तान का यह झूठ बेनकाब हो गया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरने को कभी न भूलने वाला अनुभव बताया।
विंग कमांडर शिवांगी सिंह राफेल विमान उड़ाने वाली भारत की एकमात्र महिला पायलट हैं। शिवांगी सिंह लगभग दो दशक से एयरफोर्स में हैं, उनके पति भी फाइटर पायलट हैं। ऑपरेशन सिंदूर में राफेल विमानों का इस्तेमाल किया गया था।
शिवांगी सिंह ने वाराणसी से स्कूली शिक्षा लेने के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से बैचलर किया और फिर हैदराबाद स्थित भारतीय वायु सेना अकादमी (एएफए) में ट्रेंनिंग की। 2017 में वह महिला फाइयर पायलटों के दूसरे बैच के तहत एयरफोर्स में शामिल हुईं। शिवांगी सिंह ने शुरुआत में मिग-21 बाइसन विमान उड़ाया और फिर तेज गति वाले जेट विमानों को उड़ाने में महारत हासिल की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को राफेल फाइटर जेट के जरिये सफलतापूर्वक उड़ान भरी। इसके साथ ही राष्ट्रपति मुर्मू दो लड़ाकू विमानों में उड़ान भरने वालीं भारत की पहली राष्ट्रपति बन गई हैं। मुर्मू ने अप्रैल 2023 में असम के तेजपुर वायु सेना स्टेशन पर सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान भरी थी।
राष्ट्रपति ने पहना ‘जी-सूट’, पायलट के साथ खिंचवाईं तस्वीरें
राफेल विमान में सवार होने से पहले राष्ट्रपति ने ‘जी-सूट’ पहना था। उन्होंने पायलट के साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं। विमान ने लगभग 30 मिनट तक उड़ान भरी और करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद वापस वायुसेना स्टेशन पर लौटा। विमान 17वीं स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन अमित गेहानी ने उड़ाया। वायुसेना स्टेशन पहुंचने पर राष्ट्रपति को औपचारिक ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ भी दिया गया।
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल ने क्रमशः 8 जून, 2006 और 25 नवंबर, 2009 को पुणे के पास लोहेगांव वायुसेना स्टेशन से सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान भरी थी। फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दसॉ एविएशन द्वारा निर्मित राफेल लड़ाकू विमान को सितंबर 2020 में अंबाला वायुसेना स्टेशन पर भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया था। पहले पांच राफेल विमानों को 17वें स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरोज’ में शामिल किया गया था। ये विमान 27 जुलाई, 2020 को फ्रांस से यहां लाए गए थे।
