Tuhin Kanta Pandey biography: भारतीय शेयर बाजार को नियंत्रित करने वाली संस्था सेबी (SEBI) को नया प्रमुख मिल गया है। तुहिन कांत पांडे को सेबी चेयरमैन नियुक्त किया गया है, जो पहले वित्त सचिव के रूप में कार्यरत थे। उनके पास निजीकरण, पूंजी बाजार, और सरकारी विनिवेश का गहरा अनुभव है। अब उनके सामने शेयर बाजार की स्थिरता, निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने और डिजिटल बदलावों को अपनाने जैसी चुनौतियां होंगी। जानिए, कौन हैं तुहिन कांत पांडे और कैसे उनके फैसले भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित कर सकते हैं? सेबी चीफ के रूप में माधबी पुरी बुच का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनका कार्यकाल अगले तीन वर्षों के लिए तय किया गया है।

SEBI प्रमुख की भूमिका क्यों अहम?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) का प्रमुख देश के वित्तीय बाजार की निगरानी और नियमन की अहम जिम्मेदारी निभाता है। यह पद इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सेबी निवेशकों के हितों की रक्षा करता है और बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने में मदद करता है। मौजूदा समय में जब बाजार में अनिश्चितता और तकनीकी बदलाव तेजी से हो रहे हैं, ऐसे में सेबी प्रमुख की भूमिका और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है। इस पद पर नियुक्त तुहिन कांत पांडे को अब भारतीय शेयर बाजार को स्थिर और मजबूत बनाने की जिम्मेदारी मिली है।

तुहिन कांत पांडे का सफर
1987 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी तुहिन कांत पांडे इससे पहले केंद्र सरकार में वित्त सचिव के रूप में कार्यरत थे। वह निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव भी रह चुके हैं। उनके अनुभव और वित्तीय मामलों की गहरी समझ को देखते हुए ही उन्हें सेबी का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है। उनका कार्यकाल तीन साल का होगा, जिसमें वह भारतीय शेयर बाजार को मजबूत करने के लिए कई अहम कदम उठा सकते हैं।

कैसे हुई सेबी प्रमुख के रूप में नियुक्ति?
इस पद के लिए कई वरिष्ठ अधिकारियों के नाम चर्चा में थे, जिनमें आईआरडीएआई के चेयरमैन देबाशीष पांडा, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ और तेल सचिव पंकज जैन जैसे दिग्गज शामिल थे। जनवरी 2025 में इस पद के लिए आवेदन मंगाए गए थे और चयन प्रक्रिया पूरी करने के बाद फरवरी 2025 में सरकार ने तुहिन कांत पांडे के नाम पर मुहर लगाई। उनकी वित्तीय मामलों में विशेषज्ञता और सरकारी नीतियों को लागू करने की क्षमता को देखते हुए उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई।

अर्थव्यवस्था और निजीकरण में योगदान
पांडे का करियर कई बड़े आर्थिक सुधारों से जुड़ा रहा है। DIPAM के सचिव रहते हुए उन्होंने एयर इंडिया, नीलांचल इस्पात और अन्य सरकारी उपक्रमों के निजीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने LIC के IPO को सफलतापूर्वक लागू किया, जो भारतीय शेयर बाजार के सबसे बड़े इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग में से एक था। उनकी नीतियों और निर्णय लेने की क्षमता को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि वह सेबी में भी बड़े सुधार लाएंगे।

सरकारी सेवा में अनुभव
तुहिन कांत पांडे ने केंद्र और राज्य सरकार में कई अहम पदों पर कार्य किया है। उन्होंने योजना आयोग (अब नीति आयोग) में संयुक्त सचिव, वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव और मंत्रीमंडल सचिवालय में भी सेवाएं दी हैं। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) के क्षेत्रीय कार्यालय में भी वह महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। ओडिशा सरकार में भी उन्होंने वित्त, परिवहन, वाणिज्यिक कर और स्वास्थ्य विभागों में प्रशासनिक प्रमुख के रूप में काम किया है।

शिक्षा और विशेषज्ञता
पांडे की शिक्षा भी उनकी विशेषज्ञता को दर्शाती है। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की है और बर्मिंघम यूनिवर्सिटी, यूके से एमबीए किया है। उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि और व्यापक अनुभव उन्हें वित्तीय मामलों में एक बेहतरीन नीति निर्धारक बनाती है।

सेबी प्रमुख के रूप में तुहिन कांत पांडे के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी। भारतीय शेयर बाजार में हाल के वर्षों में उतार-चढ़ाव देखा गया है, जिसे स्थिर करना उनकी प्राथमिकता होगी। हिंडनबर्ग रिपोर्ट जैसे मामलों के बाद निवेशकों का विश्वास मजबूत करना और सेबी के नियामक तंत्र को और प्रभावी बनाना भी उनके एजेंडे में रहेगा। साथ ही, डिजिटल और तकनीकी बदलावों को ध्यान में रखते हुए सेबी की नीतियों को अपडेट करना भी उनके कार्यकाल का अहम हिस्सा होगा।